
नागपुर विश्वविद्यालय (फाइल फोटो)
Nagpur University: उपकुलपति का चयन न होने से प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया और पिछले महीने चयन की प्रक्रिया पूरी की गई। 30 दावेदारों के प्रेजेंटेशन के बाद 5 नाम फाइनल कर बंद लिफाफा राज्यपाल कार्यालय भेजा गया लेकिन अब तक नियुक्ति नहीं हो सकी। नियुक्ति में लेटलतीफी को लेकर सवाल उठने लगे हैं। प्रा. सुभाष चौधरी के निधन के बाद से विवि में मुखिया नहीं है।
प्रभारी अधिकारी के भरोसे 100 वर्ष से अधिक पुराने और 515 संलग्नित वाले विश्वविद्यालय का कामकाज चलाया जा रहा है। पिछले दिनों उपकुलपति के लिए चयन समिति ने उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किये थे। करीब 70 प्राध्यापकों ने आवेदन किये, जिसमें से 30 प्राध्यापकों को प्रेजेंटेशन के लिए बुलाया गया था। प्रेजेंटेशन के बाद चयन समिति ने ‘योग्य’ पांच उम्मीदवारों के नाम तय किये।
अब आगे की प्रक्रिया राज्यपाल कार्यालय द्वारा की जानी चाहिए। इन पांच उम्मीदवारों के साक्षात्कार के बाद कोई एक नाम फाइनल किया जाएगा लेकिन करीब महीने भर से नाम ही फाइनल नहीं हो रहा है। उच्च शिक्षा क्षेत्र में इसी विषय को लेकर चर्चा का माहौल है। एक ओर जहां उम्मीदवारों की नजरें टिकी हुई हैं वहीं दूसरी ओर विवि को भी अपने फुल टाइम मुखिया का इंतजार है।
इन दिनों महाराष्ट्र के राज्यपाल का चार्ज गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत संभाल रहे हैं। जानकार मान रहे हैं कि नियमित राज्यपाल नहीं होने के कारण ही नियुक्ति में देरी हो रही है लेकिन इस देरी से विवि के विकास पर खासा असर पड़ा है। शीत सत्र परीक्षाओं का समय आ गया है, लेकिन अब तक विवि के पास व्यवस्था का अभाव है।
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वहीं प्रबंधन परिषद की बैठकों में भी एकतरफा निर्णय लिये जाने की चर्चा है। सदस्यों को हां में हां मिलाने जैसी नौबत आ गई है। कुछ सदस्य ही मिलकर समूची व्यवस्था चला रहे हैं। छात्रों के हितों से संबंधित विविध तरह की समितियों का कामकाज ठप पड़ा है। कई समितियों की बैठक पिछले 3-4 महीनों से नहीं हुई। नीतिगत निर्णय लेने में भी अड़चनें आ रही हैं।
आखिर उपकुलपति की नियुक्ति में देरी की वजह सामने नहीं आ रही है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद नाम फाइनल करने में देरी फिलहाल कई सवाल खड़े कर रही है। उपकुलपति की नियुक्ति के बाद प्र-उपकुलपति और संकायों के अधिष्ठाताओं की भी नियुक्ति होना है। यही वजह है कि ‘दावेदार’ अपनी-अपनी फील्डिंग लगाए इंतजार कर रहे हैं।






