अपर्याप्त सुविधाओं के साथ चल रहे ग्रामीण अस्पताल। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: विधान परिषद में विधायक डॉ. परिणय फुके ने गुरुवार को नागपुर जिले के पारशिवनी तालुका में एक उप-जिला अस्पताल की तत्काल आवश्यकता को देखते हुए इस मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाया। आगे बात करते हुए डॉ. फुके ने कहा कि इस क्षेत्र के नागरिकों को आधुनिक एवं तत्काल स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बड़ी संख्या में नागपुर या अन्य स्थानों पर जाना पड़ता है। इसलिए पारशिवनी को उपजिला अस्पताल का दर्जा दिया जाना चाहिए, यह मांग डॉ. फुके ने सदन में रखी।
हालांकि वर्तमान में पारशिवनी में केवल एक ग्रामीण अस्पताल ही संचालित हो रहा है। सीटी स्कैन, एक्स-रे, नेत्र शल्य चिकित्सा और सर्जरी जैसी आवश्यक चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं। परिणामस्वरूप, दुर्घटना पीड़ितों या गर्भवती महिलाओं को तत्काल उपचार के लिए 30-40 किलोमीटर दूर नागपुर जाना पड़ता है, जो समय और लागत दोनों के लिहाज से समस्याजनक है। सदन में जानकारी देते हुए डॉ. फुके ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की व्यापक कमी है।
विशेष रूप से, स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ और शल्य चिकित्सा विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं हैं। परिणामस्वरूप, गर्भवती महिलाओं को समय पर उपचार नहीं मिल पाता है। उन्हें प्रसव के लिए निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है, जिसका बहुत बड़ा वित्तीय प्रभाव ग्रामवासियों पर पड़ता है। वहीं कई प्रमुख राजमार्ग पारशिवनी तालुका से होकर गुजरते हैं। इसलिए यहां दुर्घटनाओं की संख्या अधिक है।
नागपूर जिल्हयातील पारशिवनी तालुक्यामध्ये उपजिल्हा रुग्णालयाची मागणी अनेक दिवसांपासून प्रलंबित आहे. या तालुक्यामध्ये ११३ पेक्षा जास्त लहानमोठी गावे येत असून पारशिवनी येथे शासकीय कार्यालय सुध्दा आहे. मोठ्या प्रमाणात या सर्व गावातून गोरगोरीब लोक उपचाराकरिता येत असतात. pic.twitter.com/QF87sdiJHy
— Dr. Parinay Fuke (@Parinayfuke) March 6, 2025
हालांकि, तत्काल चिकित्सा सहायता के लिए एम्बुलेंस और अत्याधुनिक आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं। समय पर उपचार न मिलने के कारण कई मरीजों की जान जोखिम में पड़ जाती है। स्थानीय स्तर पर इस मांग पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई हो रही है। जनता ने भी इस मांग का समर्थन किया है। यदि सरकार इस ओर गंभीरता से ध्यान नहीं देगी, तो भविष्य में एक बड़ा जन आंदोलन खड़ा हो सकता है। ऐसी चेतावनी सामाजिक संगठनों ने दी है। अब पूरे तालुका की नजर इस बात पर है कि क्या सरकार इस मांग पर ध्यान देगी और कोई सकारात्मक निर्णय लेगी।
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डॉ. फुके ने कहा कि गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसव कक्ष और नवजात शिशुओं के लिए विशेष चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण कई महिलाओं को बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। परिणामस्वरूप, शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर में वृद्धि होने की संभावना है। तालुका के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उप-केंद्रों में दवाओं का स्टॉक अपर्याप्त है। तकनीकी उपकरणों की भारी कमी है। इसके अलावा, कई स्थानों पर प्रयोगशालाएं और प्रयोगशाला परीक्षण सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए, नागरिकों को सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए भी लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
इस तालुका में 112 से अधिक गांव हैं। यहां रहने वाले नागरिकों को सामान्य बीमारियों के लिए भी बड़े शहरों की ओर भागना पड़ता है। इसलिए सरकार को पारशिवनी में आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए, विधान परिषद में ऐसी जोरदार मांग डॉ. फुके द्वारा की गई।