
नागपुर मनपा ने भिखारियों की छिनी स्माइल (सौजन्य-सोशल मीडिया)
नागपुर: केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा भिखारियों के लिए ‘स्माइल’ परियोजना शुरू की गई है। इसका क्रियान्वयन महानगर पालिका द्वारा किया जा रहा है। पिछले 28 महीनों में भिखारियों के खाने-पीने पर हुए खर्च पर नजर डालें तो दुखद तस्वीर सामने आती है। महानगर पालिका भिखारियों के साथ भिखारियों जैसा व्यवहार कर रही है।
महानगर पालिका ने एक भिखारी के खाने-पीने पर मात्र 32 रुपए खर्च किए हैं। ऐसा लग रहा है कि केंद्रीय परियोजना के तहत भिखारियों के चेहरों की ‘स्माइल’ गायब हो गई है। मनपा सड़क किनारे, खुले स्थानों और फुटपाथों पर रहने वाले भिखारियों और बेघर लोगों को ‘बेघर आश्रय केंद्रों’ में रहने की जगह मुहैया करा रही है। इन आश्रय केंद्रों के जरिए बेघरों को आश्रय, चिकित्सा और व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर समाज की मुख्यधारा में लाया जा रहा है।
आश्रय केंद्रों में पानी, शौचालय, गद्दे, चादर, कपड़े, सुरक्षा, भोजन आदि जैसी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। इसमें से मनपा ने 1 जनवरी 2023 से 31 मई 2025 तक साढ़े तीन साल में 913 भिखारियों पर 2 करोड़ 48 लाख 84 हजार 951 रुपये खर्च किए हैं। यह जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अभय कोलारकर को आरटीआई में दी गई। इस अवधि की गणना करें तो पता चलता है कि मनपा ने उन पर प्रतिदिन 32 रुपये के हिसाब से खर्च किए हैं। आज बाजार में 32 रुपए में नाश्ते की प्लेट भी नहीं मिलती।
भिखारियों के पुनर्वास के लिए राष्ट्रीय स्तर पर चलाए जा रहे अभियान के लिए दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, नागपुर, पटना, लखनऊ और इंदौर जैसे 10 शहरों का चयन किया गया था। इसके तहत 23 फरवरी 2021 को शहर में भिखारियों का सर्वेक्षण किया गया। सर्वेक्षण जियो-टैग, बायोमेट्रिक थंब इंप्रेशन के माध्यम से किया गया। इसके तहत करीब 1991 भिखारियों का सर्वेक्षण किया गया। हालांकि मनपा के आंकड़ों के अनुसार साढ़े तीन साल में सिर्फ 913 भिखारियों का ही सर्वेक्षण किया गया।
पिछले साढ़े तीन साल में मनपा ने 302 भिखारियों को विभिन्न ट्रेड में प्रशिक्षित किया है। गणेश प्रतिमा बनाने, इलेक्ट्रिक सीरीज बनाने, एलईडी लाइट बनाने, कागज के थैले बनाने, मोमबत्ती बनाने, बांस से आकाशदीप बनाने, सेल्स रिप्रेजेन्टेटिव बनाने, राखी बनाने, कपड़े के थैले बनाने, हैंडवाश, ब्लू, लिक्विड डिटर्जेंट बनाने, होली के लिए गोबर चक्र बनाने का प्रशिक्षण दिया गया।
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| प्रति वर्ष | भिखारियों की संख्या | व्यय |
|---|---|---|
| 1 जनवरी से – 31 मार्च 2023 | 106 | 30,03,781 |
| 1 अप्रैल 2023 – 31 मार्च 2024 | 309 | 1,16,16,097 |
| 1 अप्रैल 2024 – 31 मार्च 2025 | 425 | 1,13,57,850 |
| 1 अप्रैल से – 31 मई, 2025 | 73 | 19,10,999 |






