
मनपा में सहायक आयुक्तों का घोर संकट (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर महानगर पालिका इन दिनों सहायक आयुक्तों की भारी कमी और अधिकारियों की अनिच्छा के दोहरे संकट से जूझ रही है। जोन कार्यालयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अधिकांश सहायक आयुक्त आमतौर पर शासन से प्रतिनियुक्ति पर आते थे, लेकिन अब ये अधिकारी मनपा में काम करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। परिणामस्वरूप, कई अधिकारी नियुक्त होते ही अपना तबादला करवा रहे हैं।
अधिकारियों की इस अनिच्छा के कारण मनपा प्रशासन ने पात्रता न रखने वाले अधीक्षकों को सहायक आयुक्त जैसे महत्वपूर्ण पदों की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंप दी है। कई अधिकारियों को मनपा में कचरा प्रबंधन जैसी समस्याओं का समाधान करना “कम दर्जे” का कार्य प्रतीत होता है, इसलिए वे यहां कार्य करने से बच रहे हैं। वर्तमान में कई अधीक्षक सहायक आयुक्तों का प्रभार संभाल रहे हैं, किंतु उनके कार्य प्रदर्शन से उनकी अक्षमता उजागर हो रही है।
जानकारों का कहना है कि अधिकारियों की कमी के चलते इन अधीक्षकों को अतिरिक्त प्रभार तो दे दिया गया है, किंतु आधा दिन जोन की जिम्मेदारी और दोपहर के बाद विभागीय कार्य का बोझ होने से वे किसी भी जिम्मेदारी के साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं। यही कारण है कि इन अधीक्षकों को सहायक आयुक्त के पद के लिए उपयुक्त नहीं माना जा रहा है।
कुछ जोनों में नागरिकों का आरोप है कि संबंधित अधिकारी शिकायतों पर ध्यान नहीं देते, यहां तक कि नागरिकों के फोन भी नहीं उठाते। परिणामस्वरूप, नागरिकों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।
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मनपा की आर्थिक स्थिति भी इस संकट की एक बड़ी वजह है। मनपा का स्थापना खर्च 35 प्रतिशत से अधिक न जाने की शर्त के कारण पिछले कई वर्षों से नई भर्ती नहीं हो सकी। परिणामस्वरूप, मौजूदा अधिकारियों को दो या तीन विभागों का अतिरिक्त कार्यभार संभालना पड़ रहा है।
कर्मचारी और अधिकारी दोनों ही इस अत्यधिक कार्यभार से त्रस्त हैं। हालांकि, पिछले दो महीनों में लगभग 200 कर्मचारियों की भर्ती की गई है और लिपिक वर्गीय पदों की भर्ती प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है, लेकिन हर महीने करीब 50 कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में भर्ती की गति अनुपातिक नहीं है, जिससे समस्या जस की तस बनी हुई है।






