निर्माणाधीन नागपुर मेडिकल कॉलेज के कैंसर विभाग के इमारत (फोटो नवभारत)
Nagpur Medical College: नागपुर के शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल के कैंसर विभाग का भविष्य नई इमारत पर टिका हुआ है। यदि इमारत का कार्य समयसीमा के भीतर नहीं हुआ तो विभाग की स्नातकोत्तर सीटों पर संकट आ सकता है। टीबी वार्ड परिसर में निर्माणाधीन कैंसर इंस्टीट्यूट के निर्माण कार्य को फिलहाल ग्रहण लग गया है।
करीब 6 महीने से सरकार द्वारा निधि जारी नहीं किये जाने से ठेकेदार की हालत पतली हो गई है। एक ओर सरकार जिले में विकास कार्यों के लिए निधि की कमी नहीं होने देने का दावा करती है तो दूसरी ओर महत्वपूर्ण प्रकल्पों को लेकर तत्परता नहीं बरती जा रही है।
कैंसर के अपग्रेडेट इलाज के लिए पृथक इंस्टीट्यूट का निर्माण किया जा रहा है। इसकी शुरुआत जनवरी, 2024 में हुई थी लेकिन पेड़ों की कटाई की वजह से कुछ दिनों तक काम अटका रहा। इसके पश्चात अप्रैल में इमारत के निर्माण का कार्य शुरू हुआ।
नागपुर महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एनएमआरडीए) द्वारा डीबी पटेल कंपनी को निर्माण कार्य का ठेका दिया गया है। समूचा प्रोजेक्ट करीब 56 करोड़ रुपये का है। अब तक कंपनी को 27.61 करोड़ रुपये दिये जा चुके हैं।
कैंसर विभाग की नई इमारत का पहली मंजिल तक का कार्य हो चुका है लेकिन पूरी इमारत तीन मंजिला बननी है। ग्राउंड फ्लोर पर लीनियर एक्सीलेटर के लिए बंकर बना लिया गया है।
कैंसर इंस्टीट्यूट के निर्माण के बाद विभाग यहां शिफ्ट हो जाएगा। इसमें सभी तरह के कैंसर के उपचार की सुविधा मिल सकेगी। मरीजों को सरकारी शुल्क में सुविधा मिलने से विदर्भ सहित अन्य राज्यों के भी मरीजों को लाभ मिलेगा। नये-नये विभाग खुलने से स्नातकोत्तर की सीटें भी बढ़ेंगी।
यह प्रोजेक्ट मेडिकल के विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है लेकिन प्रशासनिक स्तर पर की जा रही देरी से कई सवाल खड़े हो गये हैं। निधि नहीं मिलने से ठेकेदार कंपनी की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं।
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स्थिति यह है कि यदि जल्द निधि जारी नहीं की गई तो निर्माण कार्य पर भी ब्रेक लगने की नौबत आ सकती है। निधि के लिए विभाग को 2-3 स्मरण पत्र भेजे जा चुके हैं। इस हालत में अप्रैल, 2026 तक इमारत का कार्य पूरा होना भी संभव नहीं लग रहा है।
इमारत में लीनियर एक्सीलेटर मशीन के लिए बंकर बनाया गया है। बंकर बनाने के लिए करीब 10 करोड़ रुपये तक का खर्च आया। इससे पूरे प्रकल्प की लागत ही बढ़ गई है। लागत बढ़ने के बाद एनएमआरडीए द्वारा 11 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रस्ताव दिया गया लेकिन इसे अब तक मंजूरी नहीं मिली।
बकाया निधि के लिए एनएमआरडीए द्वारा अधिष्ठाता को अब तक कई बार पत्र भेजे गये लेकिन निधि जारी नहीं हुई। इसी तरह स्थिति रही तो इमारत को बनने में और 2 वर्ष का समय लग सकता है। विभाग की योजना थी कि ग्राउंड फ्लोर और पहली मंजिल कार्य पूर्ण होने से शिफ्टिंग कर ली जाएगी लेकिन लेटलतीफी के चलते और इंतजार करना पड़ सकता है।