एस्टोनिया में रूसी घुसपैठ से तनाव चरम पर, फोटो (सो.सोशल मीडिया)
UN Security Council meeting: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एस्टोनिया के हवाई क्षेत्र में रूसी लड़ाकू विमानों की कथित घुसपैठ को लेकर आपात बैठक बुलाई। बैठक में यूरोप, मध्य एशिया और अमेरिका मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र के सहायक महासचिव मिरोस्लाव जेंका ने परिषद को जानकारी दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि संयुक्त राष्ट्र इस घटना से जुड़े दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि करने में सक्षम नहीं है और उसके पास इस संबंध में अतिरिक्त जानकारी भी उपलब्ध नहीं है।
उनकी ब्रीफिंग पूरी तरह सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित थी। जेंका ने बताया कि सुरक्षा परिषद अध्यक्ष को भेजे गए एस्टोनिया के पत्र में आरोप लगाया गया है कि शुक्रवार को तीन रूसी मिग-31 विमान एस्टोनिया के हवाई क्षेत्र में लगभग 10 किलोमीटर तक घुसे और करीब 12 मिनट वहां रहे।
वहीं, रूसी रक्षा मंत्रालय का कहना है कि उनके विमान फिनलैंड की सीमा पर स्थित करेलिया से कैलिनिनग्राद एयरबेस तक निर्धारित मार्ग पर अंतरराष्ट्रीय हवाई नियमों का पालन करते हुए उड़ान भर रहे थे और उन्होंने एस्टोनिया के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन नहीं किया। उन्होंने कहा कि सभी संबंधित पक्षों को जिम्मेदारी दिखाते हुए उपलब्ध साधनों का इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि तनाव घटे और क्षेत्रीय सुरक्षा किसी बड़े खतरे में न पड़े। दुनिया के लिए यह स्वीकार करना असंभव है कि खतरा नियंत्रण से बाहर हो जाए और यूक्रेन में चल रहा विनाशकारी युद्ध और ज्यादा फैल जाए।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, एस्टोनिया, अन्य यूरोपीय देशों और अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र की सोमवार की बैठक में रूस पर आरोप लगाया कि उसने एस्टोनिया के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन कर तनाव को और भड़काया है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र में रूस के प्रथम उप-स्थायी प्रतिनिधि दिमित्री पोल्यांस्की ने इस आरोप को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि रूसी जेट विमानों ने एस्टोनियाई हवाई क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया। पोल्यांस्की ने यूरोपीय देशों पर “रूसोफोबिया” फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यूरोपीय नेताओं की कोशिशों से रूस के प्रति नफरत को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे देश को यूरोप की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताने की कोशिश धीरे-धीरे यूरोपीय देशों की व्यापक सोच बनती जा रही है।
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एस्टोनियाई प्रतिनिधियों का कहना है कि पड़ोसी देश अब इस बात को मान चुके हैं कि घुसपैठ के पीछे रूस का हाथ है, हालांकि हमेशा की तरह रूस के खिलाफ ठोस सबूत पेश नहीं किए गए। अमेरिका के स्थायी प्रतिनिधि माइक वाल्ट्ज ने परिषद में अपने पहले संबोधन में साफ किया कि उनका देश और उसके नाटो सहयोगी “गठबंधन क्षेत्र के हर इंच की रक्षा” करेंगे। नाटो सदस्य होने के नाते एस्टोनिया को पश्चिमी देशों का समर्थन मिला, लेकिन परिषद के गैर-यूरोपीय सदस्य देशों ने संयम बरतने और तनाव घटाने पर जोर दिया।
चीन के उप-स्थायी प्रतिनिधि गेंग शुआंग ने अपील की कि सभी पक्ष शांत रहें, तथ्यों को स्पष्ट करें, संवाद और संपर्क बढ़ाकर गलतफहमी दूर करें ताकि हालात न बिगड़ें। यह आपात बैठक एस्टोनिया के अनुरोध पर बुलाई गई थी, जिसे ब्रिटेन, डेनमार्क, फ्रांस, ग्रीस और स्लोवेनिया जैसे पांच यूरोपीय देशों का समर्थन प्राप्त था।
(आईएएनएस इनपुट के साथ)