कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
Pharmacy Colleges Facilities Deficiency: महाराष्ट्र में एक ओर जहां स्नातक के सभी व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है वहीं दूसरी ओर फार्मेसी डिप्लोमा पाठ्यक्रम में अब तक शुरुआत भी नहीं हो सकी है। इस बीच साधन-सुविधाओं के अभाव में चलने वाले कुछ कॉलेजों को तकनीकी शिक्षा संचालनालय ने नोटिस जारी किया था। इन कॉलेजों की रिपोर्ट 9 सितंबर को भेजी जाएगी।
भारतीय औषधि निर्माणशास्त्र परिषद (पीसीआई) द्वारा कॉलेजों के लिए साधन-सुविधाएं तय की गई हैं। इन साधन-सुविधाओं का निरीक्षण तकनीकी शिक्षा संचालनालय और महाराष्ट्र राज्य तकनीकी शिक्षा मंडल द्वारा किया जाता है। मापदंड की पूर्ति नहीं करने वाले कॉलेजों के प्रवेश पर रोक लगाई जाती है। इससे पहले कॉलेजों को खामियों की पूर्तता के लिए समय दिया जाता है।
विभाग में बी फार्मा के 57 और डी फार्मा के 89 कॉलेज हैं। इनमें से बी फार्मा के 3 कॉलेजों को नोटिस जारी किया गया था। वहीं डी फार्मा के 39 कॉलेजों को नोटिस जारी किया गया था। इन कॉलजों में छात्रों को मिलने वाली साधन-सुविधओं के साथ ही कर्मचारियों और प्राध्यापकों की कमी पायी गई थी।
जब तक कॉलेजों द्वारा खामियों की पूर्ति नहीं की जाएगी तब तक प्रवेश प्रक्रिया की मंजूरी नहीं मिलेगी। अब नोटिस जारी करने वाले कॉलेजों की रिपोर्ट 9 सितंबर को तकनीकी शिक्षा संचालनालय को सौंपी जाएगी। इसके बाद ही कॉलेजों में प्रवेश का भविष्य तय होगा।
विविध तरह की तकनीकी दिक्कतों के चलते पिछले 2 वर्ष से फार्मेसी के प्रवेश में देरी हो रही है। इसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। फिलहाल स्नातक की प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो गई है। पंजीयन के बाद प्रोविजनल मेरिट जारी कर दी गई है।
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वहीं इस सूची पर आपत्ति लेने के लिए 9 सितंबर तक अंतिम तिथि है। इसके बाद अंतिम मेरिट सूची जारी की जाएगी लेकिन डिप्लोमा में प्रवेश प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हो सकी है जबकि डिप्लोमा की सीटें अधिक हैं। डिप्लोमा में प्रवेश लेने वाले भी अधिक होते हैं।
प्रक्रिया में देरी के चलते परीक्षा सहित लाइसेंस जारी होने तक में देरी हो रही है। इससे छात्रों की परेशानी बढ़ गई है। इसका परिणाम यह भी हुआ कि सीटें भी खाली रह रही हैं क्योंकि अब तक सभी व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के प्रवेश हो गये हैं। सीटें खाली रहने से संस्थाओं को नुकसान सहन करना पड़ रहा है।