आकाश लामा-भंते विनाचार्य आए साथ (सौजन्य-नवभारत)
Deekshabhoomi: बिहार और राज्य के अन्य हिस्सों में अलग-अलग आंदोलन कर रहे आकाश लामा और भंते विनाचार्य ने महाबोधि महाविहार की मुक्ति के लिए अलग-अलग नहीं बल्कि एक साथ मिलकर लड़ने का संकल्प व्यक्त किया। पूज्य आर्य नागार्जुन सुरेई ससाई की उपस्थिति में दोनों ने महाबोधि महाविहार के लिए संगठित रूप से लड़ने का एल्गार कर लिया।
रविवार को दीक्षाभूमि हॉल में इन तीनों भिक्षुओं द्वारा हाथ मिलाकर धम्मघोषणा की गई। महाविहार की मुक्ति के लिए महाबोधि आंदोलन 204 दिनों से चल रहा है। इस बीच दोनों भिक्षु मतभेद के कारण अलग हो गए थे। अब दोनों ने आंदोलन को संगठित तरीके से आगे बढ़ाने का संकल्प व्यक्त किया। संचालन बालु घरडे ने किया।
दोनों भिक्षुओं के एक मंच पर आने से आंदोलन को बल मिलेगा। आने वाले समय में आंदोलन की दिशा तय होनी चाहिए। अगर भविष्य के सभी आंदोलन संगठित हो जाएं तो महाबोधि आंदोलन अवश्य सफल होगा।
– आर्य नागार्जुन भंते सुरेई ससाई, अध्यक्ष, डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर स्मारक समिति, दीक्षाभूमि।
महाबोधि आंदोलन को धम्म गुरु भंते आर्य नागार्जुन सुरेई ससाई और दार्जिलिंग के भंते खेंचेन संगाई लोदाई ने एकजुट होने की प्रेरणा दी थी। इसलिए यह लड़ाई आखिरी सांस तक लड़ी जाएगी। हम संगठित संघर्ष के माध्यम से महाविहार बौद्धों पर नियंत्रण हासिल करेंगे।
– भंते आकाश लामा
महाबोधि मुक्ति आंदोलन अब न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर बौद्धों की पहचान से जुड़ गया है। चूंकि महाबोधि महाविहार ही हमारे अस्तित्व और पहचान का प्रतीक है, इसलिए संगठित होकर संघर्ष करना समय की मांग थी। अब यह आंदोलन और मज़बूत होगा।
– भंते विनयाचार्य
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पूर्व मंत्री राजकुमार बडोले ने कहा कि श्रीलंका के भंते अनागारिक धम्मपाल ने एक बार महाबोधि महाविहार को खरीदने का विचार व्यक्त किया था। भंते सुरई ससाई ने भी बिहार में महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन लड़ा था। भंते विनयाचार्य और भंते आकाश लामा लड़ रहे हैं लेकिन मई 2025 में यह आंदोलन संगठित तरीके से लड़ने की अपील की थी। देर से ही सही, महाबोधि महाविहार की मुक्ति के लिए सभी संगठित हो चुके हैं।