
कौन-सी जाति उच्च…!
Yavatmal Scholarship Exam: एक ओर स्कूलों में समाजशिक्षण और समावेशित शिक्षा के माध्यम से सभी जाति-धर्म के विद्यार्थियों को एक साथ बैठाकर समानता का पाठ पढ़ाया जाता है। लेकिन दूसरी ओर शिक्षा विभाग की परीक्षा में पूछे गए एक प्रश्न ने विद्यार्थियों के मन में जातिभेद की मानसिकता पिरोने का गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। छात्रवृत्ति परीक्षा के अभ्यास प्रश्नपत्र में आठवीं के विद्यार्थियों से सीधा सवाल पूछा गया कि “कौन-सी जाति उच्च?”इस आपत्तिजनक प्रश्न ने जिलेभर के शिक्षकों और अभिभावकों को हिलाकर रख दिया है।
महाराष्ट्र राज्य परीक्षा परिषद प्रत्येक वर्ष छात्रवृत्ति परीक्षा आयोजित करती है। इस वर्ष अधिक से अधिक विद्यार्थियों की भागीदारी और बेहतर परिणाम सुनिश्चित करने के लिए जिलाधिकारी विकास मीना सक्रिय हुए। जिले के विद्यार्थियों का पंजीकरण ‘टार्गेट पीक-अप’ मोबाइल ऐप के माध्यम से किया गया तथा उसी ऐप पर मुफ्त प्रशिक्षण भी दिया गया। फरवरी में मुख्य परीक्षा आयोजित होने वाली है। इसके पहले शनिवार (6 दिसंबर) को पाँचवीं व आठवीं के विद्यार्थियों का अभ्यास प्रश्नपत्र लिया गया।
आठवीं की प्रश्नपत्रिका में दो ऐसे प्रश्न थे जो जातिभेद को बढ़ावा देने वाले माने गए।
“उच्च जाति का नाम क्या?”
उत्तर विकल्प –
ब्राह्मण, क्षत्रिय, शूद्र, वैश्य
अब विद्यार्थी चाहे जो भी विकल्प चुनें, क्या वह जातिवादी मानसिकता नहीं दर्शाता? सैद्धांतिक रूप से भी यह प्रश्न गलत है क्योंकि ब्राह्मण, क्षत्रिय, शूद्र और वैश्य जातियाँ नहीं बल्कि वर्ण माने जाते हैं। इसी से सवाल उठ रहा है कि क्या पुरानी वर्णव्यवस्था फिर से थोपने की कोशिश हो रही है?
“यह पद्धति मनुष्य के व्यवसाय, समाज और विवाह को निर्धारित करती है?”
उत्तर विकल्प –
बौद्ध धर्म, जाति व्यवस्था, जैन धर्म, अरबी-भारतीय
यह प्रश्न भी जाति व्यवस्था को सही ठहराने वाला बताया गया। प्रश्नपत्र देखते ही शिक्षक नाराज़ हो उठे। शिक्षकों व अभिभावकों का कहना है कि छात्रों के मन में गलत ज्ञान भरने वाली इस प्रणाली को जवाब देना होगा और समय शुरू हो चुका है।
यह अभ्यास परीक्षा ठीक 6 दिसंबर, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस के दिन ली गई। जहाँ एक ओर लोग समानता के महान प्रवर्तक के समक्ष नमन कर रहे थे, वहीं उसी दिन विद्यार्थियों से पूछा गया कि “कौन-सी जाति उच्च?” यही कारण है कि जिले का जनमानस और अधिक आक्रोशित है।
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जातिवादी प्रश्न देखकर शिक्षक बुरी तरह आहत हुए। दिनभर फोन पर चर्चा होती रही, लेकिन प्रशासन के विरोध में खुलकर बोलने पर नौकरी संकट का डर होने से कोई आगे नहीं आया।
यवतमाल जिलाधिकारी विकास मीना ने कहा कि “अगर ऐसा हुआ है तो यह गंभीर मामला है। प्रश्नपत्रिका देखकर आगे की कार्रवाई की जाएगी।”
जिला परिषद, यवतमाल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मंदार पत्की ने कहा कि “संबंधित कंपनी को नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगा है। जवाब आने के बाद ही कार्रवाई होगी।”






