आवार कुत्तों पर सुनवाई टली (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nagpur News: आवारा कुत्तों के आतंक के चलते लगातार हो रहीं घटनाओं को लेकर अब पुन: एक बार विजय तालेवार और अन्य की ओर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। याचिकाकर्ता द्वारा काफी वर्षों पूर्व जनहित याचिका दायर की गई थी। बुधवार को याचिका भले ही समय के अभाव में टल गई हो लेकिन अब इस पर 2 सप्ताह बाद सुनवाई के संकेत हाई कोर्ट ने दिए।
कोर्ट का मानना था कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से आदेश जारी हो चुके हैं, अत: अगले सप्ताह सुनवाई की जाएगी। मनपा ने हलफनामा प्रस्तुत कर बताया था कि 23 नवंबर 2022 को हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का पालन किया गया है, जबकि 14 जुलाई 2025 को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की पैरवी कर रहे वकील ने इसका पालन नहीं होने की जानकारी कोर्ट को दी थी।
मनपा का मानना है कि आवारा कुत्तों पर अंकुश के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। यहां तक कि कोर्ट के आदेश के अनुसार उल्लंघनकर्ताओं पर निरंतर कार्रवाई की जा रही है। शहर में लगातार बढ़ते कुत्तों के आतंक पर उनके प्रति सहानुभूति रखने वाली संस्थाओं और सामान्य लोगों की कार्यप्रणाली पर 20 अक्टूबर 2022 को हाई कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की थी।
कुत्तों के आतंक को लेकर वर्षों से लंबित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट का मानना था, ‘यदि कुत्तों से इतना ही लगाव है तो लोगों ने सर्वप्रथम उन्हें गोद लेकर मनपा के पास रजिस्टर करना चाहिए। इसके बाद इन्हें घरों के भीतर ही भोजन उपलब्ध कराना चाहिए।’ अदालत का मानना था कि यदि कोई भी घरों के बाहर कुत्तों को खाद्य पदार्थ खिलाते हुए दिखाई दे तो उसके खिलाफ जुर्माना की कार्रवाई होनी चाहिए।
सुनवाई के दौरान एडवोकेट मिर्ज़ा ने कुत्तों पर नियंत्रण न कर पाने वाले अधिकारियों के विरुद्ध क्या कार्रवाई की जा सकती है? इस संबंध में एक हलफनामा प्रस्तुत किया। इसमें उन्होंने न्यायालय को 20 अक्टूबर 2022 के आदेश की याद दिलाई और स्पष्ट किया कि आवारा कुत्तों पर नियंत्रण की प्राथमिक जिम्मेदारी नगर आयुक्त, पुलिस आयुक्त और पुलिस अधीक्षक की है।
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हालांकि, इन तीनों ने जानबूझकर आदेशों का पालन नहीं किया, इसलिए याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय की अवमानना का दावा किया है। इसके लिए मनपा आयुक्त के विरुद्ध सेवा अधिनियम के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए और पुलिस आयुक्त तथा पुलिस अधीक्षक के विरुद्ध महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 44 के अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन न करने के कारण और राज्य के पुलिस महानिदेशक को महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 7 और 8 के अनुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए।