नागपुर मनपा (सोर्स: सोशल मीडिया)
नागपुर: नागपुर महानगरपालिका के सर्वाधिक आय के स्रोतों में शामिल सम्पत्ति कर से इस वित्तीय वर्ष 2024-25 में 350 करोड़ रुपए प्राप्त होने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। निर्धारित लक्ष्य की पूर्ति के लिए नागपुर मनपा द्वारा ऑनलाइन कर भरने पर 10 प्रतिशत की छूट की घोषणा भी की गई, जबकि ऑफलाइन पद्धति से कर अदा करने पर केवल 5 प्रतिशत की छूट दी जानी थी।
वास्तविक रूप में ऑनलाइन पद्धति से कर भरने के लिए लोगों में रुचि पैदा करने तथा कर्मचारियों की कमी के बाद भी वसूली का लक्ष्य प्राप्त करने के उद्देश्य से ही इस योजना पर अमल किया गया। बहरहाल अब योजना की उलटी गिनती शुरू हो गई है। घोषणा के अनुसार अब 31 दिसंबर तक कर अदा करने पर ही इस छूट का लाभ मिल सकेगा, जबकि उसके बाद कर वसूली के लिए कड़े कदम उठाए जाने की जानकारी सूत्रों ने दी।
कर विभाग के उपायुक्त मिलिंद मेश्राम ने कहा कि मनपा ने सम्पत्तिधारकों को कर अदा करने के लिए ऑनलाइन सुविधा प्रदान की। सम्पत्तियों पर कितना कर बकाया है। इसकी जानकारी भी ऑनलाइन पद्धति से उपलब्ध कराई गई है जिसकी वजह से कर अदा करने में किसी तरह की परेशानी नहीं हो सकेगा। अब योजना के केवल 3 दिन बचे हैं। अत: अधिक से अधिक सम्पत्तिधारकों को इसका लाभ लेना चाहिए।
जानकारी के अनुसार 15 अक्टूबर को चुनाव की घोषणा होने के बाद नवंबर का पूरा माह चुनावी गतिविधियों में चला गया। चुनावी गतिविधियों में मनपा के अधिकांश कर्मचारी शामिल होने के कारण इस वर्ष सम्पत्ति कर वसूली पर असर पड़ने की संभावना जताई जा रही थी।
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कर विभाग के उपायुक्त मेश्राम के मार्गदर्शन में टीम द्वारा किए गए नियोजन के कारण अब तक 150 करोड़ का आंकड़ा पार होने की जानकारी मिली है। हालांकि अभी भी 200 करोड़ के लक्ष्य का पीछा किया जाना है किंतु प्रत्येक जोन की ओर से जब्ती अभियान चलाए जाने से वसूली होने की आशा जताई जा रही है।
नागपुर मनपा के संपत्ति कर विभाग ने पिछले साल की पहली छमाही में 1 अप्रैल 2023 से 30 सितंबर 2023 तक 116,25,47,708 रुपये का संपत्ति कर वसूला था। 1 अप्रैल 2024 से 30 सितंबर 2024 तक की छमाही में 113,67,74,579 रुपये की वसूली हुई। यह वसूली पिछले साल से ढाई करोड़ कम है।
विधानसभा चुनाव के बाद से मनपा के अधिकारी व कर्मचारी अप्रैल से ही राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन में लगे हुए थे। इस साल प्रॉपर्टी टैक्स का लक्ष्य 330 करोड़ है। अब तक आंकड़ा 150 करोड़ के पार हो चुका है। अगले 4 माह में 200 करोड़ की वसूली की चुनौती अधिकारियों व कर्मचारियों के सामने है।