कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
Railway Underpass News: वन क्षेत्रों में विशेष रूप से ट्रेनों की आवाजाही के कारण वन्यजीवों की हो रही मौत पर चिंता जताते हुए उदयन पाटिल की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। सोमवार को याचिका पर सुनवाई के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट का नागपुर बेंच ने रेलवे लाइन के नीचे कितने अंडरपास बनाए जा रहे हैं, इस बाबत लेखा-जोखा के साथ एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने के आदेश केंद्र सरकार को दिए।
याचिका पर गत सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि केंद्र सरकार की ओर से इस संदर्भ में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
हाई कोर्ट ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय सचिव, रेल मंत्रालय के सचिव, राज्य के वन एवं पर्यावरण के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन, नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी, नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ और स्टेट बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ को नोटिस जारी किया था।
कोर्ट ने कहा कि अंडरपास बनाने के लिए प्रक्रिया शुरू करने के बाद काफी समय लगेगा किंतु विकल्प के रूप में भी विचार किया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कुछ समय प्रदान करने का अनुरोध किया।
इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि निश्चित ही एक बार अंडरपास की प्रक्रिया शुरू हो तो जितना समय मांगा जाए उतना समय भी प्रदान किया जा सकता है किंतु सर्वप्रथम कितने अंडरपास का निर्माण होगा, इसका जल्द खुलासा होना जरूरी है। ऐसे में कोर्ट ने जवाब आने तक हर सप्ताह सुनवाई होने के संकेत भी दिए।
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याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने पिछली सुनवाई के दौरान बताया था कि रिट याचिका (सिविल) संख्या 107/2013 (शक्ति प्रसाद नायक बनाम भारत संघ) के मामले में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से 10 दिसंबर, 2013 को आदेश जारी किया गया था जिसमें निर्देश दिया गया है कि पूरे देश में रेलवे द्वारा घने जंगलों से गुजरने वाली ट्रेनों की गति सीमा को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।
यह भी तर्क दिया गया है कि किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए जंगली जानवरों को ट्रेन की पटरियों से हटाने के लिए घने जंगल से गुजरते समय जंगली जानवरों को चेतावनी देने के लिए ट्रेनों पर हूटर बजाए जा सकते हैं। इससे ट्रेनों की आवाजाही भी जारी रखी जा सकती है और वन्यजीवों को भी बचाया जा सकता है।