ईपीएफओ में 350 करोड़ लावारिस (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur News: हाई कोर्ट में चल रही एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह जानकारी सामने आई थी कि कर्मचारी भविष्य निधि कार्यालय के निष्क्रिय खातों में 40,865।14 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि लावारिस पड़ी है। यह आंकड़ा 12 अप्रैल 2017 तक का था। इस चौंकाने वाली राशि पर पीएफ कार्यालय सालाना 4,000 करोड़ रुपये से अधिक का ब्याज भी कमा रहा था। एक ओर यह आंकड़ा देशभर की स्थिति को उजागर कर रहा था वहीं नागपुर के विभागीय पीएफ कार्यालय में भी 350 करोड़ रुपए लावारिस पड़े होने का मामला उजागर हुआ।
इस संदर्भ में हाई कोर्ट ने पीएफ कार्यालय को खुलासा करने का आदेश दिया था। हालांकि आदेश को वर्षों बीत गए किंतु जवाब दायर नहीं किया गया। अलबत्ता मंगलवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान पीएफ कार्यालय की ओर से नये वकील उपस्थित हुए। नये वकील ने 2 दिन पहले ही उन्हें विभाग का पक्ष रखने के लिए नियुक्त किए जाने की जानकारी दी। साथ ही समय देने का अनुरोध भी कोर्ट से किया गया जिसके बाद हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी।
हाई कोर्ट में स्वयं संज्ञान आधार पर दायर इस जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका को तैयार करने वाले न्याय मित्र अतुल पाठक ने केंद्र सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय को पीएफ बकाया राशि निर्धारित करने के लिए दिशानिर्देश बनाने का निर्देश देने की प्रार्थना की। अदालत मित्र ने श्रम और रोजगार राज्य मंत्री एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए इस लावारिस राशि (40,865।14 करोड़) का संदर्भ दिया था।
उन्होंने तर्क दिया था कि नियोक्ता ब्याज सहित अपनी राशि की वापसी का हकदार है क्योंकि यह राशि लाभार्थियों की पहचान किए बिना ही एकत्र की गई थी। पाठक ने यह भी बताया था कि इस विशाल राशि के लिए मुश्किल से ही कोई दावेदार है क्योंकि अंतिम लाभार्थी इस बात से अनजान हैं कि उनकी ओर से अंशदान किया गया है।
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गत सुनवाई में हाई कोर्ट ने केंद्रीय मंत्रालय और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के सहायक आयुक्त को नोटिस जारी किया था जिसमें उन्हें पहले जवाब दाखिल करने को कहा गया था। अदालत ने आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने के लिए भी कहा था लेकिन वे उपस्थित नहीं हो पाए थे, जबकि ईपीएफओ के शहर कार्यालय में कार्यरत सहायक आयुक्त देवेंद्र सोनटक्के अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए थे और जवाब दाखिल करने में विफलता के लिए माफी मांगी थी।
याचिका में केंद्रीय मंत्रालय को पीएफ बकाया और ब्याज का निर्धारण करते समय सावधानी बरतने और लाभार्थियों की पहचान करने का निर्देश देने की प्रार्थना की गई है।
इसके अतिरिक्त अदालत मित्र ने पीएफ आयुक्त को निर्देश देने की मांग की है कि वह अनाइडेंटिफाइड लाभार्थियों के बकाया, ब्याज और हर्जाने के तौर पर नियोक्ताओं से एकत्र की गई राशि को वापस करें।