
तोप के साथ रोबोट। इमेज-एआई
Robot Made Artillery Shells India: जंग में थल सेना उतरती है, तब तोप बेहद अहम हथियार बन जाते हैं। इन तोपों की असली ताकत इनके सटीक गोले होते हैं। जितनी सफाई और सटीकता से ये गोले बनाए जाते हैं, उतनी ही खतरनाक होते हैं। इसी कड़ी में भारत के रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में क्रांतिकारी मुकाम हासिल हुआ है। कर्नाटक के बेलगाम में बालू फोर्ज नामक कंपनी ने भारत की पहली पूरी तरह से स्वदेशी और रोबोट चालित तोप गोला उत्पादन लाइन शुरू की है। यह प्लांट अब भारतीय सेना के लिए जरूरी गोला-बारूद तेजी और बहुत सटीकता से बनाएगा। यह उपलब्धि देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए गेम चेंजर साबित होगी।
बालू फोर्ज की यह नई फैक्ट्री उत्पादन केंद्र के साथ-साथ भारत के मेक इन इंडिया डिफेंस विजन की सफलता का प्रतीक है। यहां तोप के गोले बनाने का पूरा काम रोबोटिक्स और एडवांस ऑटोमेशन के जरिए किया जा रहा है। यह तकनीक पक्का करती है कि गोला-बारूद बनाने में इंसानों की गलतियां कम-से-कम हों और उत्पादन की क्वालिटी अंतरराष्ट्रीय मानकों के बराबर हो।
अब तक भारत अपने कई जरूरी तोप के गोलों के लिए विदेशी सप्लायरों पर निर्भर था। अब इस स्वदेशी रोबोट चालित लाइन शुरू होने से यह निर्भरता खत्म हो जाएगी। यह प्लांट सीधे तौर पर भारतीय सेना की जरूरतों को पूरा करेगा, जिससे सेना को आपूर्ति की कमी नहीं होगी।
तोप के गोले या बारूद बनाने का काम बहुत खतरनाक और जटिल होता है। इसमें रोबोटिक्स का इस्तेमाल करना उत्पादन की गुणवत्ता और सुरक्षा को बढ़ाता है। रोबोट एक काम को बार-बार बिना गलती के कर सकते हैं। इससे हर गोला एक सटीक मानक पर बनता है। युद्ध के मैदान में गोले की सटीकता बहुत मायने रखती है। रोबोट्स बहुत तेजी से काम भी करते हैं। इससे उत्पादन क्षमता में जबरदस्त बढ़ोतरी होती है। इससे सेना की जरूरतों को तुरंत पूरा किया जा सकता है। गोला-बारूद बनाने में जोखिम भी रह जाता है। रोबोट्स को काम पर लगाने से इंसानों को खतरनाक माहौल में काम नहीं करना पड़ता है। इससे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
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यह प्लांट भारत के लिए रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। अब तक तोप के गोलों के लिए भारत काफी हद तक आयात पर निर्भर था। यह स्वदेशी लाइन शुरू होने से दूसरे देशों पर निर्भरता खत्म हो जाएगी और देश का पैसा बचेगा।






