बॉम्बे हाईकोर्ट, मनोज जरांगे (pic credit; social media)
Maharashtra News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठा आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई करते हुए आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल और अन्य आयोजकों को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि आंदोलन के दौरान हुए कथित नुकसान और पुलिसकर्मियों के घायल होने पर साफ जवाब दिया जाना जरूरी है।
बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति आरती साठे की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। अदालत ने थोड़े हल्के अंदाज में टिप्पणी करते हुए कहा, “पिछले दो दिन से हम मुस्कुरा नहीं रहे थे, लेकिन आज हमारे चेहरों पर मुस्कान है।”
दरअसल, मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण से जुड़ा हैदराबाद गजट मान्य कर लिया। इसके बाद आरक्षण की मांग को लेकर मुंबई में डटे प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन खत्म कर शहर खाली कर दिया। इसके चलते कई दिनों से बाधित यातायात भी अब सामान्य हो गया है।
सुनवाई के दौरान जरांगे और अन्य प्रदर्शनकारियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एम. वी. थोराट और सतीश मानेशिंदे पेश हुए। उन्होंने अदालत को बताया कि अब पूरा मुद्दा सुलझ चुका है और सभी प्रदर्शनकारी शहर छोड़ चुके हैं। इस पर अदालत ने कहा कि याचिकाओं का निपटारा मौखिक दलीलों के आधार पर नहीं किया जा सकता, इसके लिए जरूरी है कि हलफनामा पेश किया जाए।
पीठ ने कहा कि आंदोलन के चलते लोगों को परेशानी हुई और कथित तौर पर बड़े पैमाने पर नुकसान भी हुआ। यहां तक कि कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। ऐसे में यह स्पष्ट होना चाहिए कि जिम्मेदारी किसकी है। अधिवक्ता मानेशिंदे ने दलील दी कि जिन तस्वीरों और घटनाओं का हवाला दिया जा रहा है, वे पुराने विरोध प्रदर्शनों से जुड़ी हैं और इस बार कोई नुकसान नहीं हुआ।
इसके बावजूद अदालत ने साफ कहा कि जरांगे और अन्य लोगों को यह बयान रिकॉर्ड में देना चाहिए कि उनका हाथ इसमें नहीं था। कोर्ट ने उन्हें हलफनामा दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया और भरोसा दिलाया कि कोई प्रतिकूल आदेश पारित नहीं किया जाएगा।