मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे पाटिल द्वारा चलाया गया आंदोलन अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। महाराष्ट्र सरकार ने उनकी कई महत्वपूर्ण मांगों को स्वीकार कर लिया है, हालांकि कुछ विषयों पर चर्चा और प्रक्रिया अभी भी जारी है। सरकार से आश्वासन मिलने के बाद मनोज जरांगे पाटिल ने अपने पांच दिन से जारी अनशन को समाप्त कर दिया। उन्होंने जल संसाधन मंत्री और मंत्रीमंडल उपसमिति के अध्यक्ष राधाकृष्ण विखे पाटिल के हाथों नींबू पानी पीकर अपना अनशन तोड़ा। इस अवसर पर जरांगे ने इसे मराठवाड़ा, पश्चिमी महाराष्ट्र और संपूर्ण राज्य के लिए एक ऐतिहासिक और स्वर्णिम दिन बताया। उन्होंने अपने समर्थकों से शांतिपूर्वक व्यवहार करने और रात तक मुंबई छोड़ने की अपील की। जरांगे की प्रमुख मांग थी कि हैदराबाद गजट को प्रमाण मानते हुए उन मराठा लोगों को कुंबी जाति का दर्जा दिया जाए जिनके पूर्वजों का नाम उस गजट में दर्ज है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी आग्रह किया कि 58 लाख कुंबी जाति के रिकॉर्ड ग्राम पंचायतों में सार्वजनिक किए जाएं, ताकि समाज को यह भरोसा हो सके कि उनके पास वैध दस्तावेजी प्रमाण मौजूद हैं।
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे पाटिल द्वारा चलाया गया आंदोलन अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। महाराष्ट्र सरकार ने उनकी कई महत्वपूर्ण मांगों को स्वीकार कर लिया है, हालांकि कुछ विषयों पर चर्चा और प्रक्रिया अभी भी जारी है। सरकार से आश्वासन मिलने के बाद मनोज जरांगे पाटिल ने अपने पांच दिन से जारी अनशन को समाप्त कर दिया। उन्होंने जल संसाधन मंत्री और मंत्रीमंडल उपसमिति के अध्यक्ष राधाकृष्ण विखे पाटिल के हाथों नींबू पानी पीकर अपना अनशन तोड़ा। इस अवसर पर जरांगे ने इसे मराठवाड़ा, पश्चिमी महाराष्ट्र और संपूर्ण राज्य के लिए एक ऐतिहासिक और स्वर्णिम दिन बताया। उन्होंने अपने समर्थकों से शांतिपूर्वक व्यवहार करने और रात तक मुंबई छोड़ने की अपील की। जरांगे की प्रमुख मांग थी कि हैदराबाद गजट को प्रमाण मानते हुए उन मराठा लोगों को कुंबी जाति का दर्जा दिया जाए जिनके पूर्वजों का नाम उस गजट में दर्ज है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी आग्रह किया कि 58 लाख कुंबी जाति के रिकॉर्ड ग्राम पंचायतों में सार्वजनिक किए जाएं, ताकि समाज को यह भरोसा हो सके कि उनके पास वैध दस्तावेजी प्रमाण मौजूद हैं।