मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले (सोर्स: सोशल मीडिया)
Mumbai News: महाराष्ट्र सरकार में राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि आदिवासी किसान जल्द ही कृषि उद्देश्यों या खनिज उत्खनन के लिए निजी कंपनियों को अपनी जमीन पट्टे पर दे सकेंगे और इससे उन्हें अतिरिक्त आय प्राप्त होगी। अधिकारियों ने बताया कि इस कदम से न केवल आदिवासियों को आय का एक स्थिर स्रोत मिलेगा, बल्कि उनके मालिकाना अधिकारों की भी रक्षा होगी।
बावनकुले ने शुक्रवार शाम गडचिरोली में पत्रकारों से कहा, “जल्द ही एक कानून लाया जाएगा। मैं इसकी आधिकारिक घोषणा से पहले आपको यह बता रहा हूं। इस नीति के तहत, आदिवासी किसान कृषि उद्देश्यों या खनिज उत्खनन के लिए अपनी जमीन सीधे निजी कंपनियों को पट्टे पर दे सकेंगे।”
मौजूदा समय में आदिवासी किसानों को निजी कंपनियों के साथ स्वतंत्र रूप से पट्टा समझौते करने की अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित बदलाव का उद्देश्य किसानों को निजी निवेश तक सीधी पहुंच प्रदान करना और अपनी जमीन से अतिरिक्त आय अर्जित करने में मदद करना है।
मंत्री के अनुसार, प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए समझौतों में जिलाधिकारी की भागीदारी आवश्यक होगी। उन्होंने कहा, “न्यूनतम पट्टा किराया 50,000 रुपये प्रति एकड़ वार्षिक या 1,25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर वार्षिक होगा। किसान और निजी पक्ष आपसी सहमति से अधिक राशि पर निर्णय ले सकते हैं।”
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मंत्री ने यह भी कहा कि अगर आदिवासी किसानों की जमीन पर महत्वपूर्ण या लघु खनिज पाए जाते हैं तो उन्हें खनिज उत्खनन के लिए निजी कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) करने की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि किसानों को प्रति टन के हिसाब से मौद्रिक लाभ मिलेगा, हालांकि लाभ का सटीक अनुमान अभी नहीं लगाया गया है। बावनकुले ने कहा, “आदिवासियों को इसके लिए मुंबई आने की जरूरत नहीं है। यह निर्णय जिलाधिकारी के स्तर पर लिया जा सकता है।”– एजेंसी इनपुट के साथ