मत्स्य व्यवसाय (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए मत्स्य व्यवसाय को कृषि का दर्जा देने का शासन निर्णय जारी कर दिया है, ताकि मछुआरों और मत्स्यपालकों को कृषि क्षेत्र की तरह बुनियादी सुविधाएं और रियायतें उपलब्ध कराई जा सकें। कुछ दिन पहले ही राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस निर्णय को मंजूरी दी गई थी। यह निर्णय राज्य के मत्स्य व्यवसाय और बंदरगाह मंत्री नितेश राणे के निरंतर प्रयासों और पहल का परिणाम है।
शुक्रवार से इस निर्णय की औपचारिक अमल में लाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिससे राज्य के मछुआरा समुदाय को बड़ी राहत मिली है। महाराष्ट्र एक कृषि प्रधान राज्य है, जहां की ग्रामीण अर्थव्यवस्था केवल खेती ही नहीं बल्कि कृषि से जुड़े अन्य क्षेत्रों जैसे पशुपालन, मत्स्यपालन, फल-फूल और सब्जी उत्पादन पर भी निर्भर है। राज्य में मत्स्य व्यवसायियों के इस योगदान को ध्यान में रखते हुए मंत्री नितेश राणे ने मंत्रिमंडल में यह मुद्दा उठाया था और उसके परिणामस्वरूप मत्स्य व्यवसाय को कृषि का दर्जा दिया गया।
इस शासन निर्णय से राज्य के मछुआरे, मत्स्य पालक, मत्स्य उत्पादक, मत्स्य प्रबंधन करने वाले, मत्स्य बीज संवर्धन, नौकाओं के रख-रखाव और उनसे जुड़ी गतिविधियों जैसे मछलियों की छंटाई, प्रसंस्करण, भंडारण आदि में लगे व्यक्तियों को कृषि क्षेत्र की तरह सुविधाएं और रियायतें प्राप्त होंगी। इससे राज्य में मत्स्य उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और स्थानीय स्तर पर मत्स्य व्यवसाय के माध्यम से रोजगार सृजन को भी बढ़ावा मिलेगा। अब मत्स्य क्षेत्र को राज्य और केंद्र सरकार की ओर से कृषि क्षेत्र को दी जाने वाली योजनाओं और लाभों का सीधा लाभ मिल सकेगा।
इस निर्णय के चलते मत्स्य किसानों और मत्स्य संवर्धन परियोजनाओं को कृषि दर पर रियायती दरों में बिजली आपूर्ति की जाएगी। मत्स्य किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ भी दिया जाएगा। इसके साथ ही बैंकों से कृषि दर पर ऋण सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। इसी तरह, कृषि क्षेत्र की तरह कम प्रीमियम दर पर बीमा सुरक्षा का लाभ भी अब मत्स्य क्षेत्र को मिलेगा।
इसके अलावा, किसानों को सौर ऊर्जा को लेकर ऊर्जा विभाग की ओर से जो लाभ दिए जाते हैं, वे अब मत्स्य व्यवसायियों को भी प्रदान किए जाएंगे, इसके लिए राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है। इस शासन निर्णय में मछुआरे, मत्स्य संवर्धक, मत्स्य व्यवसायी, मत्स्य पालक, मत्स्य बीज उत्पादक, मत्स्य नौकाओं के देखरेखकर्ता और मत्स्य प्रबंधन से जुड़े लोगों की परिभाषाएं पहली बार स्पष्ट रूप से निर्धारित की गई हैं। इसके कारण राज्य के मत्स्य उत्पादकों के साथ-साथ मत्स्य व्यवसाय और उससे जुड़े श्रमिक वर्ग को इस शासन निर्णय का बड़ा लाभ मिलेगा