
किसान रोशन (सौजन्य-सोशल मीडिया)
International Kidney Mafia: अवैध साहूकार के कर्ज मकड़जाल में फंसे चंद्रपुर के किसान रोशन सदाशिव कुडे आखिरकार अंतरराष्ट्रीय किडनी रैकेट के संपर्क में कैसे आया यह बड़ा मुद्दा है। शुरुआती जांच में चंद्रपुर से नागपुर, फिर कोलकाता और उसके बाद कंबोडिया का रूट सामने आया है।
हालांकि किडनी की अवैध तस्करी के लिए रोशन का पासपोर्ट किसने बनवाया, वीजा किसने उपलब्ध कराया मेडिकल जांच और औपचारिकताएं तरह पूरी की गई बड़ी जांच का विषय है। आशंका है कि बगैर किसी ऊंची पहुंच और अंतरराष्ट्रीय रैकेट के रोशन की यह यात्रा और चिकित्सा जांच संभव नहीं हो सकती।
रोशन चेन्नई के किसी डॉ कृष्णा के संपर्क में आया, जिसने उसके लिए नागपुर से कोलकाता का रेल टिकट उपलब्ध कराया। रोशन के कोलकाता पहुंचने पर डॉक्टर का एक प्रतिनिधि उसे रिसीव करने स्टेशन पर मौजूद था। वहां से उसे मेडिकल खासकर खून की जांच के लिए पैथोलॉजी ले जाया गया। रिपोर्ट मनमाफिक आने पर उसके लिए पासपोर्ट, वीजा और कंबोडिया यात्रा के लिए जरूरी दस्तावेज उपलब्ध कराए गए।
रोशन को कंबोडिया के नोम पेन्ह ले जाया गया, जहां 24 अक्टूबर 2024 को उसकी किडनी निकाली गई। अस्पताल से रोशन को 26 अक्टूबर को डिस्चार्ज कर दिया गया, जहां से वह वापस चंद्रपुर आया। अब डॉ कृष्णा जांच एजेंसियों के राडार पर आ गया है, जिसके मिलने पर आगे का लिंक सामने आएगा। इस मुद्दे के लोकसभा में कांग्रेसी सांसद डॉ प्रशांत पडोले के उठाने के बाद केंद्रीय जांच एजेंसियां भी हरकत में आ गई हैं।
कंबोडिया में किडनी बेचने के बाद भी रोशन की मुश्किलें कम नहीं हुई। वह इसके बाद बंधुआ मजदूरी कराने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोह के चंगुल में फंस गया, जहां से उसे राजनीतिक और फिर कूटनीतिक प्रयासों के तहत बचाया गया। बताते हैं कि किडनी बेचने से मिला पैसा साहूकार ने रख लिया और 74 लाख के कर्ज की बकाया राशि के लिए उत्पीड़ित होता रहा।
पुलिस की एक विशेष टीम उसकी सरगर्मी से तलाश में जुटी है। सूत्रों की माने ती आरोपी मनीष अंतरिम जमानत के प्रयास में है। वह किसी निजी कंपनी में काम पर होने की भी खबर है। इस बीच कम्युनिस्ट पार्टी के नेता कॉमरेड विनादे झोडगे ने इस मामले का निषेध किया है। जनआंदोलन की चेतावनी देते हुए उन्होंने आरोपी की सघन जांच कर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।
थक हार कर रोशन ने ऑनलाइन प्लेसमेंट एजेंसी से संपर्क किया, जहां से उसे फिर वाया कोलकाता होते हुए लाओस की राजधानी वियनतियाने ले जाया गया। वहां से वह बोकियो शहर पहुंचा जहां उसे काम दिया गया। काम देने वाली एजेंसी ने उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया और जान से मारने की धमकी देकर काम लिया। किसी तरह रोशन ने व्हॉट्सएप वॉयल कॉल से कांग्रेस के नेता विजय वडेट्टीवार से सपंर्क किया। फिर राजनीतिक कूटनीतिक प्रयासों से रोशन लाओस की कानून एजेंसियों की मदद से वापस चंद्रपुर घर आ सका।
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किसान के किडनी बेचने के मामले में गिरफ्तार 5 साहूकार आरोपी किशोर राम बावनकुले, लक्ष्मण पुंडलिक उरकुडे, प्रदीप राम बावनकुले, संजय विठोबा बल्लारपुरे और सत्यवान रामरतन बोरकर को तीन दिनों के लिए पुलिस कस्टडी में भेजा गया है। दो दिनों के बाद भी फरार आरोपी मनीष पुरुषोतम घाटबांधे को पकड़ा नहीं जा सका है।
पूरी पुलिस यंत्रणा इस मामले के पीछे जुटा दी गयी है। पीड़ित रोशन शिवदास कुले से ठीक से जानकारी नहीं मिल रही है। हम उस पर दबाव बनाना नहीं चाहते, इसलिए जैसे – जैसे उससे कोई जानकारी मिलेगी, उस आधार पर जांच को आगे बढ़ाने की हमारी कोशिश है।
– मुम्मका सुदर्शन, एसपी, चंद्रपुर।






