
बांध विरोधी चले जरांगे के पास (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Yavatmal Latest News: महाराष्ट्र सरकार ने वर्ष 1997 में लोअर पैनगंगा प्रोजेक्ट को मंज़ूरी दी थी। इस प्रोजेक्ट में विदर्भ मराठवाड़ा के 95 गांव डूब जाएंगे और डेढ़ लाख लोग बेघर हो जाएंगे। पचास हज़ार एकड़ उपजाऊ ज़मीन और ढाई हज़ार एकड़ हरा-भरा जंगल खत्म हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट में डूबे 95 गांवों में से 44 गांव आदिवासी इलाकों में आते हैं, इसलिए ग्राम सभा से मंजूरी जरूरी है।
इसके बावजूद सिंचाई विभाग व्दारा पुलिस सुरक्षा में युद्ध स्तर पर प्रोजेक्ट का काम कर रहा है। इसलिए, बांध विरोधी संघर्ष समिति अब मदद की उम्मीद में गुरुवार को मराठा संघर्ष योद्धा मनोज जरांगे पाटिल से मिलने जा रही है। इस इलाके के लोगों की रोज़ी-रोटी का मुख्य ज़रिया खेती है और वह छीनी जा रही है। इसी से किसान, खेतिहर मज़दूर और दूसरे बिज़नेसमैन अपनी रोज़ी-रोटी कमाते हैं।
चूंकि सभी मज़दूरों को पुनर्वास इलाकों में बसाया जा रहा है। इसलिए रोज़ी-रोटी का कोई ज़रिया नहीं बचेगा। 29 नवंबर को जब प्रोजेक्ट का काम चल रहा था, तो लोअर पैनगंगा बांध विरोधी संघर्ष समिति के लोगों और बाढ़ वाले इलाकों के पांच हजार महिला-पुरुष किसानों ने अपनी मर्ज़ी से प्रोजेक्ट का काम रोक दिया। इसके बाद पुलिस ने पांच से छह सौ किसानों पर गंभीर केस दर्ज किए।
ऐसे में किसान दस दिन से एंटीसिपेटरी बेल का इंतज़ार कर रहे थे। कोर्ट से बेल मिली और उसके बाद सिंचाई विभाग ने मराठवाड़ा और विदर्भ दोनों तरफ पुलिस सुरक्षा में काम फिर से शुरू कर दिया है। यह देश का पहला डैम होना चाहिए जहां पुलिस सुरक्षा में काम चल रहा है। पिछले 28 सालों में डैम विरोधी संघर्ष समिति ने इस प्रोजेक्ट पर एक फावड़ा भी नहीं चलने दिया।
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ऐसे में अफसोस की बात है कि विपक्षी पार्टी और सत्ताधारी जनप्रतिनिधि ने इस सेशन में इस बारे में एक भी सवाल नहीं उठाया। 600 किसानों पर गंभीर केस दर्ज हैं। चाहे सत्ता में हो, सत्ता से बाहर हो या विरोधी पार्टी में हो, किसी भी जनप्रतिनिधि ने बांध विरोधी संघर्ष समिति का सहयोग और मदद नहीं की है।
इसलिए, बांध विरोधी संघर्ष समिति अब मदद की उम्मीद में गुरुवार को सुबह 10 बजे अंतरवाली सराटी में मराठा संघर्ष योद्धा मनोज दादा जरांगे पाटिल से मिलने जा रही है। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य मनोज जरांगे पाटिल का बांध विरोधी आंदोलन का समर्थन करना और उनके आंदोलन में सहयोग प्राप्त करना है, ऐसा बांध विरोधी संघर्ष समिति के प्रचार प्रमुख और संगठन सचिव मुबारक तंवर ने कहा है।
– 95 गांवों को होना पड़ेगा विस्थापित
– 600 किसानों पर दर्ज हो चुके हैं केस
– 44 गांव आदिवासियों के प्रभावित
लोअर पेनगंगा बांध विरोधी संघर्ष समिति ने औरंगाबाद और नागपुर बेंच में इस प्रोजेक्ट के खिलाफ याचिका दायर की है और अगले दो दिनों में सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका दायर की जा रही है। ऐसी जानकारी बांध विरोधी संघर्ष समिति के मुबारक तंवर ने दी है।






