
बॉम्बे हाई कोर्ट व कुत्ते (सोर्स: सोशल मीडिया)
बॉम्बे हाई कोर्ट ने आवारा कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों पर खाना खिलाने को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि किसी व्यक्ति को गैर-निर्धारित स्थानों पर आवारा कुत्तों को भोजन देने से रोकना भारतीय कानून के तहत “गलत तरीके से रोकना” या “बाधा डालना” नहीं माना जाएगा। यह निर्णय आवारा कुत्तों के कल्याण और नागरिकों की जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
बंबई उच्च न्यायालय की पीठ, न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति संदेश पाटिल ने पुणे की एक महिला और उसके दोस्तों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द कर दिया। मामला 42 वर्षीय व्यक्ति द्वारा दर्ज कराया गया था, जिसने आरोप लगाया था कि महिला और उसके मित्र आवासीय सोसाइटी के गेट पर आवारा कुत्तों को भोजन करा रहे थे।
अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति को फुटपाथ, हाउसिंग सोसाइटी के प्रवेश-निकास स्थल या स्कूल बस स्टॉप जैसे गैर-निर्धारित स्थानों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाने से रोकने को भारतीय दंड संहिता के तहत ‘गलत तरीके से रोकना’ नहीं माना जा सकता। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई अपराध के दायरे में नहीं आती।
जनवरी में हिंजेवाड़ी थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, शिकायतकर्ता आवासीय परिसर में आवारा कुत्तों को खाना खिला रही थी। इस दौरान आरोपी और सोसाइटी के अन्य सदस्य उसकी कार के सामने खड़े होकर उसे वहां से जाने से रोक रहे थे। आरोपी ने दावा किया कि सोसाइटी में लगभग 40 से अधिक आवारा कुत्ते थे, जिनसे निवासियों को परेशानी होती थी। कई बार कुत्तों ने लोगों को काटा भी था। उन्होंने अदालत से प्राथमिकी रद्द करने की मांग की, जो बंबई HC ने मान ली।
यह भी पढ़ें:- Madh-Versova Bridge Project: मुंबई को मिलेगा नया लाइफलाइन ब्रिज, 90 मिनट का सफर अब 10 मिनट में
अदालत ने कहा कि किसी को गैर-निर्धारित स्थानों पर कुत्तों को रोकने की कार्रवाई करना स्वेच्छा से बाधा डालना या अपराध नहीं है। न्यायालय ने यह भी नोट किया कि नियम और कानून के उल्लंघन का मामला तभी बनता है जब जानबूझकर किसी की सुरक्षा या संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाए।






