मुंबई बीएमसी (pic credit; social media)
BMC Elections: मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनावों से पहले सत्तारूढ़ महायुति में सीट बंटवारे को लेकर टेंशन बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिया है कि राज्य के सभी स्थानीय निकायों के चुनाव 31 जनवरी 2026 से पहले कराए जाएं। इसके बाद राजनीतिक दल अपनी चुनावी तैयारी तेज कर चुके हैं।
विशेष ध्यान मुंबई पर है, जहां उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 100 सीटों पर दावा ठोंक दिया है। यह दावा 2017 के आखिरी बीएमसी चुनाव में शिवसेना द्वारा जीती गई 83 सीटों, मनसे के 6, 3 निर्दलीय और अन्य 8 सीटों पर अपना प्रभाव दिखाने के लिए किया गया है।
महायुति गठबंधन के अन्य घटक दल भी सीटों की मांग कर रहे हैं। भाजपा कम से कम 150 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। वहीं अजीत पवार की राकां और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रामदास आठवले भी क्रमशः कुछ सीटों की मांग कर रहे हैं। इस वजह से शिंदे गुट को अपने 100 सीटों के दावे पर समझौता करने के लिए दबाव महसूस हो रहा है।
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बीएमसी में कुल 227 सीटें हैं। शिंदे गुट ने पिछले चुनावों में शामिल हुए ज्यादातर नगरसेवकों को अपने खेमे में जोड़कर अपना बल मजबूत कर लिया है। कांग्रेस, मनसे और कुछ निर्दलीय जीतने वाले पूर्व नगरसेवक भी शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं। इस तरह करीब 60 पूर्व नगरसेवक शिंदे गुट के पास मौजूद हैं।
राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के साथ गठबंधन की संभावनाओं को लेकर भी सियासी हलचल तेज है। बीएमसी चुनाव में महापौर पद जीतने के लिए सभी दल अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि महायुति में सीटों के बंटवारे को लेकर रस्साकशी और सत्ता संघर्ष चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकता है। शिंदे गुट का 100 सीटों पर दावा और गठबंधन के अन्य दलों की मांगें बीएमसी चुनाव को और रोमांचक बनाने की संभावना रखती हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बीएमसी चुनाव महायुति के लिए सत्ता संतुलन का बड़ा परीक्षण होगा।