
अजित पवार के साथ पार्थ पवार (सोर्स: सोशल मीडिया)
Parth Pawar News: पुणे के कोरेगांव पार्क में हुए 40 एकड़ जमीन के कथित गैर-कानूनी लेनदेन के मामले में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही हैं। इस मामले में एक प्रमुख आरोपी शीतल तेजवानी की गिरफ्तारी के बाद अब जांच की आंच पार्थ पवार तक पहुंचने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
कोरेगांव पार्क स्थित 40 एकड़ जमीन गैर-व्यवहार प्रकरण में अहम भूमिका निभाने वाली शीतल तेजवानी को पुणे पुलिस ने बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। शीतल तेजवानी ने यह जमीन सीधे अपने नाम पर करने के लिए ‘पॉवर ऑफ अटॉर्नी’ का इस्तेमाल किया था। उनकी गिरफ्तारी के बाद, इस जमीन को खरीदने की तैयारी कर रही अमेडिया कंपनी के भागीदार दिग्विजय पाटील और पार्थ पवार की परेशानी बढ़ सकती है।
सूत्रों के अनुसार, पुणे पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने पांच दिन पहले ही दिग्विजय पाटील को नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया था। दिग्विजय पाटील 2 दिसंबर को पुणे पुलिस आयुक्तालय में हाजिर हुए, जहां ईओडब्ल्यू ने उनका विस्तृत बयान दर्ज किया और उनसे गहन पूछताछ की।
दिग्विजय पाटील ने पुलिस को बताया है कि अगर उन्हें फिर से बुलाया जाता है तो वह हाजिर होंगे। लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि फिलहाल उन्हें जय पवार के विवाह समारोह के लिए विदेश जाना है और वापस आने के बाद वह जांच में सहयोग करेंगे। दिग्विजय पाटील की लंबी पूछताछ से जुड़े कई पहलुओं की जांच के बाद, अब पार्थ पवार की मुश्किलें बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
यह गैरव्यवहार पुणे की सबसे पॉश कॉलोनियों में से एक कोरेगांव पार्क की 40 एकड़ जमीन से जुड़ा है। बाजार मूल्य के अनुसार, इस जमीन की कीमत लगभग 294 से 300 करोड़ रुपए है। लेकिन 300 करोड़ रुपए की इस संपत्ति की खरीद पर लगने वाला प्रचलित स्टाम्प शुल्क (मुद्रांक शुल्क) लगभग 21 करोड़ रुपए होना चाहिए था, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इस सौदे के लिए मात्र 500 रुपए का स्टाम्प शुल्क भरा गया और बाकी माफ कर दिया गया।
यह 40 एकड़ जमीन ‘महार वतन’ की थी, जो लंबे समय तक बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के कब्जे में थी। नियम है कि यदि सरकारी कब्जे वाली जमीन पर कोई परियोजना नहीं बनती है, तो उसे मूल मालिकों को वापस कर दिया जाता है।
इस जमीन को हड़पने की साजिश लगभग दो दशक (19 साल पहले) शुरू हुई थी। पुणे की पैरामाउंट इन्फ्रा-स्ट्रक्चर कंपनी ने जमीन के 273 मूल मालिकों को ढूंढा और उनसे कभी भी रद्द न होने वाली पॉवर ऑफ अटर्नी लिखवा ली। अटर्नी में कंपनी को जमीन को सरकारी कब्ज़ से छुड़ाने और बेचने दोनों के अधिकार दिए गए।
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नियम के अनुसार, वर्ष 2000 के बाद नोटरी वाली पॉवर ऑफ अटर्नी कानूनी रूप से मान्य नहीं होती है, फिर भी 2006 में ये अटॉर्नी तैयार की गईं। सबसे बड़ा झटका यह है कि इस दस्तावेज़ में कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि मूल जमीन मालिकों को कितना और क्या मुआवजा दिया गया।
19 साल बाद ‘अमेडिया होल्डिंग कंपनी’ के रूप में इस जमीन का नया खरीदार मिला। यह कंपनी वाहन मरम्मत, मोटरसाइकिल बिक्री और घरेलू सामान बेचने का काम करती है। चौंकाने वाली बात यह है कि कंपनी की कुल पूंजी मात्र एक लाख रुपए है, फिर भी इसके नाम से 300 करोड़ रुपए की जमीन का सौदा किया गया। इस कंपनी के मालिक उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बड़े बेटे पार्थ पवार और उनके ममेरे भाई दिग्विजय अमरसिंह पाटील हैं।
कोरेगांव पार्क की यह जमीन खरीदने वाली कंपनी के ग्राहक पार्थ पवार की कंपनी थी। पार्थ पवार के पार्टनर दिग्विजय पाटील पूर्व मंत्री राणा जगजितसिंह के चचेरे भाई भी हैं। शीतल तेजवानी की गिरफ्तारी के बाद अब EOW जल्द ही अमेडिया कंपनी और उसके मालिकों से इस सौदे के संबंध में सघन पूछताछ कर सकती है।
महाप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि जमीन खरीद भ्रष्टाचार मामले में शीतल तेजवानी की गिरफ्तारी का मतलब है कि उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है। इस मामले में जमीन खरीदने वाली कंपनी के मालिक और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है और सरकार कोई कार्रवाई नहीं करेगी।






