मनपा चुनाव में होगी बिग फाइट (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Mumbai News: दीपावली के बाद संभावित राज्य के सभी निकायों खासकर मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव के लिए सभी सियासी दलों ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे अपने मतभेदों को भुलाकर युति की दिशा में लगातार कदम आगे बढ़ा रहे हैं। दोनों भाइयों की पिछले 15 दिनों में हुई दूसरी मुलाकात हुई है। इसी के साथ उद्धव की पार्टी ‘शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ (यूबीटी) और राज की ‘महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना’ (मनसे) की युति लगभग तय हो गई है।
दावा किया जा रहा है कि एक साथ आने से मुंबई बीएमसी चुनावों में मराठी वोटों के ध्रुवीकरण का लाभ मिलेगा, ऐसा मान कर सीटों के बंटवारे पर चर्चा के लिए दोनों भाई अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों का अध्ययन कर रहे हैं। तो वहीं उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी मुंबई पर अपनी पकड़ को मजबूत बनाने के लिए कमर कसनी शुरू कर दी है। इससे बीएमसी चुनाव में महायुति खासकर बीजेपी और डीसीएम शिंदे की शिवसेना के साथ उद्धव-राज की बिग फाइट की अटकलें भी जोर पकड़ने लगी हैं।
मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) सहित महाराष्ट्र के अन्य निकायों के चुनावों की पृष्ठभूमि में उद्धव और राज के बीच मुलाकतों में वृद्धि देखने को मिल रही हैं। इसी पार्श्वभूमि में बुधवार को सुबह राज के निवास ‘शिवतीर्थ’ पर अचानक पहुंच कर उद्धव ने सभी को चौंका दिया। बताया जा रहा है कि वहां उनके बीच करीब ढाई घंटे बंद कमरे में चर्चा हुई।
शिवतीर्थ पर हुई राज और उद्धव की मुलाकात के दौरान यूबीटी के सांसद संजय राऊत, विधायक अनिल पर और मनसे नेता बाला नांदगांवकर भी मौजूद थे। सूत्रों का दावा है कि बैठक में मनपा चुनाव की तैयारियों पर दोनों भाइयों ने मंथन किया तथा युति की संभावनाओं को और मजबूत बनाने के लिए उद्धव ने राज को यूबीटी के आगामी दशहरा सम्मेलन में आने का न्योता भी दिया।
बैठक के बाद यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि राज ने यूबीटी के दशहरा सम्मेलन में जाने पर क्या निर्णय लिया है? लेकिन उद्धव के साथ हुई चर्चा और दशहरा सम्मेलन के निमंत्रण की जानकारी अपने विश्वसनीय सहयोगियों को देने तथा आगे की रणनीति तय करने के लिए उन्होंने गुरुवार को अपनी पार्टी के प्रमुख नेताओं की बैठक शिवतीर्थ पर बुलाई है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि इसमें बैठक के बाद राज अपनी आगे की रणनीति सार्वजनिक कर सकते हैं।
वैसे तो बैठक के बाद उद्धव ने मीडियाकर्मियों से कोई बात नहीं की। लेकिन संजय राउत ने मुलाकात को पारिवारिक करार देते हुए कहा कि इसमें राजनीति वाली कोई बात नहीं थी। उन्होंने कहा कि गणेशोत्सव के उपलक्ष्य में करीब 15 दिन पहले उद्धव, ‘शिवतीर्थ’ पर आए थे। उस दौरान भीड़ होने की वजह से राज की मां भतीजे उद्धव से ठीक से बात नहीं कर पाई थीं। इसलिए उन्होंने उद्धव को फिर आने को कहा था। इसलिए उद्धव अपनी चाची से मिलने शिवतीर्थ गए थे।
इसी बीच यह भी जानकारी सामने आई है कि ‘यूबीटी’ को ऐतिहासिक शिवाजी पार्क मैदान (शिवतीर्थ) पर 2 अक्टूबर को दशहरा सम्मेलन की इजाजत मिल गई है। दशहरा के उपलक्ष्य में ठाकरे परिवार की शिवसेना द्वारा दादर स्थित ‘शिवाजी पार्क मैदान’ पर पिछले करीब 59 वर्षों (वर्ष 1966) से आयोजित किए जा रहे ऐतिहासिक दशहरा सम्मेलन के लिए मुंबई महानगर पालिका ने 25 शर्तों के साथ अनुमति दी है।
राज-उद्धव की युति की बढ़ती संभावनाओं के साथ विपक्षी गठबंधन ‘महाविकास आघाड़ी’ (मविआ) के अस्तित्व को लेकर नई अटकलों का दौर शुरू हो गया।फिलहाल सबकी नजर विपक्षी गठबंधन पर लगी है। राज-उद्धव की युति के बाद कांग्रेस और राकां शरदचंद्र पवार पार्टी क्या रुख अपनाती है? क्या ‘मविआ’ में राज को एंट्री मिलेगी? राज और उद्धव के बीच सीटों का बंटवारा कैसे होगा? क्या राज के लिए उद्धव, मविआ छोड़ देंगे। आदि सवाल लोग पूछ रहे हैं।
बीजेपी नीत महायुति के नेता मुंबई मनपा सहित राज्य के निकायों के चुनाव महायुति के तौर पर लड़ने का दम भर रहे हैं। लेकिन इसके साथ-साथ उनके बीच ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने के लिए प्रेशर गेम भी शुरू हो गया है। संगठन पर्व के तहत अपने सदस्यों की संख्या बढ़ाने के बाद बीजेपी में शीर्ष नेतृत्व संगठन में नई ऊर्जा भरने के मकसद से पदाधिकारियों की फिर से नियुक्ति कर रहा है। इसी को देखते हुए डीसीएम शिंदे ने भी मुंबई में अपनी स्पेशल 21 की टीम को मैदान में उतार दिया है। बीएमसी चुनावों की पृष्ठभूमि में उन्होंने अपनी पार्टी की मुख्य कार्यकारी समिति की घोषणा की है। इसमें 21 प्रमुख नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। आगामी बीएमसी चुनावों में पार्टी स्तर पर महत्वपूर्ण निर्णय इसी समिति के माध्यम से लिए जाएंगे। इस समिति में शिवसेना के शीर्ष नेताओं, सांसदों, पूर्व सांसदों, विधायकों और पूर्व विधायकों को मौका दिया गया है।
ये भी पढ़े: BJP: आवासीय परियोजनाओं के लिए धार्मिक नाम का इस्तेमाल, भाजपा ने जताई आपत्ति
1) एकनाथ शिंदे, प्रमुख नेता
2) रामदास कदम, नेता
3) गजानन कीर्तिकर, नेता
4) आनंदराव अडसुल, नेता
5) मीनाताई कांबले, नेता
6) डॉ। श्रीकांत शिंदे, सांसद
7) रवींद्र वायकर, सांसद
8) मिलिंद देवड़ा, सांसद (राज्यसभा)
9) राहुल शेवाले, पूर्व सांसद
10) संजय निरुपम, पूर्व सांसद
11) प्रकाश सुर्वे, विधायक
12) अशोक पाटिल, विधायक
13) मुरजी पटेल, विधायक
14) दिलीप लांडे, विधायक
15) तुकाराम काटे, विधायक
16) मंगेश कुडालकर, विधायक
17) मनीषा कायंदे, विधायक (विधान परिषद)
18) सदा सरवणकर, पूर्व विधायक
19) यामिनी जाधव, पूर्व विधायक
20) दीपक सावंत, पूर्व विधायक
21) शिशिर शिंदे, पूर्व विधायक