17 साल बाद अरुण गवली को जमानत (pic credit; social media)
Maharashtra News: गैंगस्टर से राजनेता बने अरुण गवली को 17 साल से अधिक समय बाद सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। अदालत ने उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। हालांकि, यह साफ कर दिया गया है कि अगर गवली किसी शर्त का उल्लंघन करते हैं या किसी नए अपराध में शामिल पाए जाते हैं, तो उनकी जमानत तुरंत रद्द की जा सकती है।
70 वर्षीय गवली को 2007 में शिवसेना नगरसेवक कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। 2012 में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। उन पर हत्या, आपराधिक षड्यंत्र, जबरन वसूली और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत आरोप सिद्ध हुए थे।
सुप्रीम कोर्ट में गवली की ओर से दलील दी गई कि वे लगभग 18 वर्षों से जेल में बंद हैं और उनकी उम्र भी अधिक हो चुकी है। इसके मद्देनजर अदालत ने कहा कि इतने लंबे समय से कारावास में रहने के बाद जमानत देना उचित है। अदालत ने गवली और सह-आरोपियों को निचली अदालत द्वारा तय की गई शर्तों पर जमानत देने का निर्देश दिया।
गौरतलब है कि अरुण गवली कभी मुंबई के अंडरवर्ल्ड का बड़ा नाम माने जाते थे। बाद में उन्होंने राजनीति में कदम रखा और अखिल भारतीय सेना नामक पार्टी बनाई। उनकी पार्टी ने मुंबई मनपा चुनावों में भी उम्मीदवार उतारे थे। जमानत मिलने से उनकी पार्टी को चुनावी राजनीति में एक नई ऊर्जा मिलने की संभावना है।
हालांकि, अदालत ने साफ कर दिया कि जमानत मिलने का मतलब यह नहीं है कि सजा खत्म हो गई है। अगर गवली अदालत की शर्तों का पालन नहीं करते या किसी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल पाए जाते हैं, तो राज्य सरकार या याचिकाकर्ता उनकी जमानत रद्द करने का आवेदन दाखिल कर सकते हैं।
इस फैसले के साथ गवली 17 साल बाद जेल से बाहर निकलने जा रहे हैं। राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज हो गई है कि उनकी रिहाई से मुंबई की स्थानीय राजनीति और मनपा चुनावों में क्या असर पड़ेगा।