CM फडणवीस (Image- Social Media)
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर विपक्ष पर भारी साबित हुए हैं। सोमवार की शाम तक मनोज जरांगे पाटिल का मराठा आंदोलन उनके लिए एक बड़ा सिरदर्द बनता नजर आ रहा था। इसका मुख्य कारण मुंबई में मराठाओं की बड़ी उपस्थिति से बिगड़ी स्थिति और विपक्ष का जरांगे को बढ़ता समर्थन था। राजनीतिक जानकार भी यह सोच रहे थे कि फडणवीस इस चुनौती का सामना कैसे करेंगे, लेकिन मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई से पहले ही फडणवीस ने पूरी स्थिति को पलट दिया।
यह सही है कि सरकार ने मनोज जरांगे की आठ में से लगभग 6 मांगें स्वीकार कर ली हैं। जरांगे ने जीआर मिलने के बाद अनशन समाप्त करने का ऐलान भी कर दिया है। मराठा आरक्षण आंदोलन के लिए मंगलवार का दिन शुभ साबित हुआ। देर रात तक मुंबई का आजाद मैदान और आस-पास के इलाके खाली हो जाएंगे। महाराष्ट्र के कोने-कोने से आए मराठाओं ने विजय पताका लहराते हुए वापस लौटने का ऐलान किया है। इससे पहले के 24 घंटे में जो हुआ उसने विपक्ष को पूरी तरह से चौंका दिया है।
सीएम फडणवीस ने मनोज जरांगे पाटिल की मांगों और उनके सीधे आलोचनात्मक बयानों पर संयम बनाए रखा। जरांगे ने फडणवीस की तुलना गिरगिट से की, लेकिन मुख्यमंत्री ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मुंबई में जो हालात थे, उसके बाद फडणवीस ने समझदारी से काम लिया। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि वे मराठा विरोधी नहीं हैं। पिछली बार जब मनोज जरांगे पाटिल नवी मुंबई के वाशी से जालना लौटे थे, तब उन्हें ज्यादा कुछ हासिल नहीं हुआ था। इस बार वे सरकार से अपनी झोली भरकर ले जा रहे हैं। आजाद मैदान में जरांगे ने खुद इसका उल्लेख किया। जब वे सरकार के प्रतिनिधिमंडल की ओर से रखे गए प्रस्ताव का जिक्र कर रहे थे, तब कुछ समर्थकों ने कहा कि सभी मांगें पूरी हों, तो जरांगे ने शिवाजी का हवाला देते हुए कहा, “थोड़ा-थोड़ा खाएंगे तो ठीक रहेगा, ज्यादा खाएंगे तो पेट खराब हो जाएगा।” सरकार द्वारा हैदराबाद गैजेट को मान्यता देने से मराठावाड़ा में कई मराठा कुनबी लाभान्वित होंगे। कुनबी जाति पहले से ओबीसी में है, ऐसे में मराठाओं को इसका लाभ मिलेगा।
सरकार ने सतारा गैजेट के लिए समय मांगा तो जरांगे ने 15 दिन की बजाय 30 दिन का समय दे दिया। मंच पर मौजूद शिवेंद्र राजे भोसले का जिक्र करते हुए जरांगे ने कहा कि राजे कह रहे हैं, और जब राजे कहते हैं तो मानना पड़ता है। सतारा गैजेट को लागू करने से पहले सरकार ने कानूनी अड़चनों को दूर करने के लिए समय मांगा है। सभी मराठाओं को कुनबी मानने की मांग पर फैसला शिंदे समिति की रिपोर्ट के आधार पर लिया जाएगा। इसके अलावा आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में मारे गए मराठाओं के परिवारों को सरकार नौकरी देने पर सहमत हो गई है। साथ ही मुंबई आने पर किए गए चालान और दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे। सरकार इस संबंध में आदेश जारी करेगी।
जरांगे के आंदोलन के बाद बनी स्थिति का आकलन करके फडणवीस सक्रिय रहे। उन्होंने राधाकृष्ण विखे पाटिल (बीजेपी) की अगुवाई में माणिक राव कोकाटे (अजित पवार), शिवेंद्र राजे भोसले (बीजेपी), उदय सामंत (एकनाथ शिंदे) और जय कुमार गोरे (बीजेपी) का प्रतिनिधिमंडल बनाया। इसके बाद आंदोलन खत्म कराने की जिम्मेदारी इन्हें सौंपी गई। सीएम ने स्वयं मनोज जरांगे के पास भेजा।
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सभी मराठा नेताओं को भेजना फडणवीस का सही फैसला साबित हुआ। इसमें राधाकृष्ण विखे पाटिल एक वरिष्ठ नेता हैं। फडणवीस ने इन नेताओं के साथ पहली बैठक ली थी। मराठा आंदोलन में मनोज जरांगे पाटिल की मांगें मानकर फडणवीस ने उस धारणा को नकार दिया है, जिसमें यह कहा जा रहा था कि वे मराठा विरोधी हैं।