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मुंबई: मराठा आंदोलनकारी मनोज जरांगे पाटिल ने अपने चुनाव लड़ने के अपने रुख से यू टर्न ले लिया है। मराठा समाज और उनके सगे संबंधियों के लिए ओबीसी कोटे से पूर्ण आरक्षण की मांग कर रहे जरांगे पाटिल पिछले करीब डेढ़ साल से राज्य की महायुति सरकार के खिलाफ हुंकार भर रहे थे। लोकसभा चुनाव में महायुति को कम से कम 7 सीटों पर नुकसान पहुंचाने वाले जरांगे पाटिल ने विधानसभा चुनाव में भी अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया था।
बता दें कि मनोज जरांगे ने अंतरवाली सराटी में मराठा समाज से चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले उम्मीदवार का साक्षात्कार लिया था तथा इच्छुकों को नामांकन दाखिल करने का निर्देश भी दिया था लेकिन सोमवार को ‘यू-टर्न’ लेते हुए नामांकन पत्र दाखिल करने वाले अपने समर्थकों से अपना नाम वापस लेने को कह दिया है।
अब जब मनोज जरांगे पाटिल ने अब प्रत्याशी नहीं उतारने का फैसला लिया है। ऐसा कहा जा रहा है कि मनोज जरांगे पाटिल के इस फैसले से महाविकास अघाड़ी को फायदा होगा। बता दें कि अगर जरांगे अपने उम्मीदवार उतारते तो मराठा वोट बंट जाते जिससे मराठवाड़ा की उन सीटों पर महाविकास अघाड़ी को नुकसान हो सकता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
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पिछले चुनावों में मराठवाड़ा में महायुति को झटका लगा था। बता दें कि 2019 के विधानसभा चुनाव में मराठवाड़ा की 46 सीटों में से भाजपा को 16, शिवसेना को 12, कांग्रेस को 8 तथा एनसीपी को 8 सीटें मिली थीं। वहीं अन्य दलों के खाते में 2 सीट गई थी। इस बार अगर मराठा वोट एकजुट रहते हैं तो महाविकास अघाड़ी के लिए यह फायदेमंद साबित हो सकती है।
जरांगे के इस फैसले से अब यह सवाल उठता है कि इसका अंतत: किसके पक्ष में असर होगा? महाविकास अघाड़ी को जहां इससे फायदा हो सकता है तो वहीं भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) को नुकसान हो सकता है। बता दें कि इस समय महाराष्ट्र में सरकार के खिलाफ मराठा समुदाय की नाराजगी सत्ताधारी दलों के लिए चिंता का विषय है।
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को मतदान होना है और मराठा सुमदाय किसे चुनता है ये देखना दिलचस्प होगा।
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