ओस्मानाबाद विधानसभा सीट (डिजाइन फोटो)
महाराष्ट्र: 20 नवंबर को 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुनाव होने वाले हैं। वहीं इसके परिणाम की बात करें, तो वो 23 नवंबर को जारी किया जाएगा। उस्मानाबाद संसदीय सीट के 6 विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। ओस्मानाबाद विधानसभा सीट महाराष्ट्र की सबसे महत्वपूर्ण विधानसभा सीट्स में से एक मानी जाती है। साल 2019 में शिव सेना ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। ओस्मानाबाद विधानसभा सीट महाराष्ट्रके उस्मानाबाद जिले के ही अंतर्गत आती है। ओस्मानाबाद में साल 2019 में कुल 40.43 प्रतिशत वोट डाले गए थे। शिव सेना से कैलास बालासाहेब घाडगे पाटिल ने साल 2019 में जीत हासिल की थी। उन्होंने राष्ट्रवादी कंग्रेस पार्टी के संजय प्रकाश निंबालकर को 13467 वोटों से हराया था।
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उस्मानाबाद विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र महाराष्ट्र राज्य के 288 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। उस्मानाबाद विधानसभा में अनुसूचित जाति मतदाताओं की संख्या लगभग 64,833 है जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 17.89% है। वहीं अनुसूचित जनजाति मतदाताओं की संख्या लगभग 11,814 है जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 3.26% है। मतदाता सूची विश्लेषण के अनुसार उस्मानाबाद विधानसभा में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 43,488 है जो लगभग 12% है। वहीं, यहां पर ग्रामीण मतदाताओं की संख्या लगभग 251,723 है, तो शहरी मतदाताओं की संख्या लगभग 110,677 है। इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं का दबदबा ज्यादा है।
वर्ष | उम्मीदवार | पार्टी | वोट |
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2019 | कैलास बालासाहेब घाडगे पाटिल | शिव सेना | 87488 वोट |
2014 | राणा जगजीत सिन्हा पद्म सिन्हा पाटिल | राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी | 88469 वोट |
2009 | राजेनिम्बालकर ओम प्रकाश भूपालसिंह उर्फ पवनराज | शिव सेना | 100709 वोट |
2004 | मोहिते दिलीप दत्तात्रय | राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी | 76,769 वोट |
1978 के चुनाव से अभी तक ओस्मानाबाद विधानसभा सीट पर आईएनसी (INC) 4 बार जीती है और एनसीपी (NCP) 3 बार। 2019 में इस सीट पर कैलास बालासाहेब घाडगे पाटिल ने शिव सेना से जीत दर्ज की थी। वहीं इससे पहले साल 2014 में इस सीट से राणा जगजीत सिन्हा पद्म सिन्हा पाटिल ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार बनकर जीत हासिल की थी। साल 2009 की बात करें, तो उन चुनावों में राजेनिम्बालकर ओम प्रकाश भूपालसिंह उर्फ पवनराज ने शिव सेना का उम्मीदवार बनकर जीत हासिल की थी। अब ये देखने वाली बात है कि क्या इस बार फिर से शिवसेना अपना दमखम दिखा पाएगी या नहीं? इस बार जनता जीत की कुर्सी किसने नाम करेगी?