जलगांव-बुरहानपुर प्रशासन की संयुक्त बैठक (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Jalgaon Farmers: जलगांव जिले के किसानों के लिए केला ‘जीवनरेखा’ माना जाता है। यही कारण है कि भाव गिरते ही उनकी कमर टूट जाती है। इन दिनों यही हालात बने हुए हैं। खेतों में मेहनत से तैयार फसल का उन्हें उचित दाम नहीं मिल रहा। मंडी में व्यापारी 300 से 800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से केला खरीद रहे हैं, जबकि खुदरा बाजार में यही फल 30 से 50 रुपये प्रति किलो तक बेचा जा रहा है। किसानों के अनुसार यह सीधी-सीधी लूट है। इसकी वजह से किसान काफी परेशान दिखाई दे रहें हैं। इसी बात को लेकर जिला अधिकारी ने एक बैठक बुलाई थी जिसमें एक्शन लेने की बात कही गयी।
रावेर तालुका के किसान रमेश चौधरी ने बताया कि हमारे लिए खेती अब घाटे का सौदा बन गई है। लागत हर साल बढ़ रही है, पर भाव उल्टा घटते जा रहे हैं। वहीं महिला किसान आशाबाई पाटिल ने कहा कि हम दिन-रात खेत में काम करते हैं और जब बेचने की बारी आती है, तो व्यापारी बाजार में मंदी का बहाना बनाकर औने-पौने दाम दे जाते हैं। आखिर हमारा गुजारा कैसे होगा।
किसानों की समस्याओं को देखते हुए रावेर कृषि उपज मंडी समिति के सभापति सचिन पाटिल, उपसभापति योगेश पाटिल व अन्य पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी आयुष प्रसाद से मुलाकात की। इस दौरान विधायक अमोल जावळे भी उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि केला जिले की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है हजारों परिवार इससे जुड़े हैं। ऐसे में पारदर्शी व्यवस्था जरूरी है, ताकि दलाल और व्यापारी किसानों की मेहनत पर डाका न डाल सकें।
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जिलाधिकारी आयुष प्रसाद ने बुरहानपुर (मप्र) के जिलाधिकारी हर्ष सिंह के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बैठक कर स्थिति की समीक्षा की।बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, केले की नीलामी अब यू ट्यूब पर सीधी प्रसारित की जाएगी, जिससे किसानों को भाव की सच्चाई पता चल सके। न्यूनतम दर अब सिर्फ एक सौदे पर नहीं, बल्कि कम से कम 20 सौदों की औसत पर आधारित होगी। फिलहाल बारिश और बाढ़ से बाजार में मांग घटी है, पर त्योहारी सीजन में दर सुधरने की संभावना है।
बैठक के बाद प्रशासन ने किसानों को भरोसा दिलाया कि उनके हितों की रक्षा की जाएगी। किसान नेता योगराज पाटिल ने कहा कि यह निर्णय सही दिशा में कदम है। पर जब तक ठोस कार्रवाई जमीन पर नहीं दिखेगी, तब तक किसानों का भरोसा पूरी तरह वापस नहीं आएगा। जिला प्रशासन का यह एक्शन किसानों में उम्मीद जगा रहा है। यदि निर्णय समयबद्ध तरीके से लागू हुए तो न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि केले के व्यापार में पारदर्शिता भी आएगी।