
चार हजार से अधिक किसानों के लिए खेती करना हुआ कठिन (सौजन्यः सोशल मीडिया)(
MNREGA Agriculture Repair: इस वर्ष हुई अतिवृष्टि ने जिले के अनेक किसानों की कृषि भूमि को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। नदी किनारों पर स्थित खेतों की मिट्टी पूरी तरह बह जाने के कारण अगली कई सीज़न तक खेती करना अत्यंत कठिन हो गया है। इसी कारण अब तक साढ़े चार हजार से अधिक किसानों ने अपनी भूमि की मरम्मत और पुनर्स्थापना के लिए प्रशासन के पास आवेदन किए हैं।
इन आवेदनों में सबसे अधिक संख्या उमरखेड़ तहसील से प्राप्त हुई है। जिले में लगभग साढ़े पाँच लाख हेक्टेयर क्षेत्र की फसलों को नुकसान पहुंचा है। जिन किसानों की भूमि बह गई या क्षतिग्रस्त हुई है, उन्हें मनरेगा के माध्यम से भूमि सुधार कार्य उपलब्ध कराया जाएगा। आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद, संबंधित विभाग द्वारा निरीक्षण किया जाएगा और जरूरत के अनुसार मिट्टी, गिट्टी, मुरूम, रेत या पत्थर उपलब्ध कराए जाएंगे।
जिन किसानों के पास जॉब कार्ड नहीं है, उन्हें जॉब कार्ड जारी करने के निर्देश दिए गए हैं। तकनीकी स्वीकृति के बाद ही सुधार कार्य को मंजूरी दी जाएगी। यह प्रक्रिया जिला परिषद के रोगायो विभाग द्वारा तेजी से जारी है। उमरखेड़ से सबसे अधिक साढ़े तीन हजार आवेदन अतिवृष्टि से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र उमरखेड़ रहा, जहां 3,500 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं।
इसके अलावा
ये भी पढ़े: लोहे-सीमेंट का ‘काला कारोबार’! GST चोरी के आरोपों से हिल गया झरी-जामणी का बाजार, विभाग पर उठे सवाल
प्राकृतिक आपदा के चलते धंस चुके कुओं की मरम्मत के लिए 30 हजार रुपए तक की सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। अब तक कुल 98 किसानों ने आवेदन किए हैं।






