पुलिस कर्मियों द्वारा मारपीट का मामला। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
गोंदिया: शहर के कुष्णपुरा वार्ड, श्रीनगर में 2 महिलाओं में विवाद हो रहा था। इसी बीच पुलिस वहां आई और बिना किसी कारण हमें थाने ले गई और मारपीट की गई। जबकि हमने कोई अपराध नहीं किया था। मारपीट करने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज करने के बजाय हमारे खिलाफ झूठा मामला दर्ज कर दिया गया। पुलिस अधिकारी उन पुलिसकर्मियों का समर्थन कर रहे हैं जिन्होंने निष्पक्ष जांच किए बिना मारपीट की।
मारपीट करने वाले पुलिसकर्मियों पर 8 दिनों में कार्रवाई नहीं की गई तो उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करेंगे, ऐसी जानकारी शिकायतकर्ता श्रीनगर निवासी अरुण दरयानी ने एक चर्चा के दौरान दी। अरुण दरयानी ने आगे बताया कि 2 मार्च 2025 को दो महिलाएं उसके बगल में लड़ रही थीं। इसी दौरान पुलिस सिपाही महेंद्र ताजने और एक अन्य सिपाही वहां पहुंचे। उन्होंने अरुण के भाई ईश्वर को बुलाया। ईश्वर ने बताया कि उसका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।
इसी बीच, ताजने ने ईश्वर का कॉलर पकड़ लिया और अपनी पुलिसिया धौंस दिखाते हुए उसे जेल में डालने की धमकी दी। इस बीच, मेरी बहन रेखा दरयानी और मैंने पूछा कि ईश्वर का कॉलर पकड़कर क्यों धमकाया गया। उसके बाद हम तीनों घर चले गए। लेकिन, एक घंटे बाद सिपाही ताजने और आठ अन्य पुलिसकर्मी पुलिस वाहन में उसके घर पहुंचे और उसे यह कहते हुए शहर पुलिस थाने ले गए कि साहब उन्हें बुला रहे हैं। इस समय सिपाही ताजने ने उसे पुलिस उपनिरीक्षक चन्नावार के कक्ष में ले जाकर 25 से 30 थप्पड़ मारे तथा कॉलर पकड़कर उसे झूठे अपराध में फंसाने की धमकी दी और उस पर यह स्वीकार करने का दबाव बनाया कि उसने उसके साथ दुर्व्यवहार किया है।
दरयानी ने बताया कि ताजने ने उसी दिन रात 10.21 बजे उनके खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराई। शिकायतों के बावजूद वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पुलिसकर्मियों को सहयोग कर रहे हैं। घटना के सीसीटीवी फुटेज से छेड़छाड़ की गई है। पुलिस ने तीनों गवाहों के बयान स्वेच्छा से दर्ज किए तथा कोरे कागजों पर उनके हस्ताक्षर लिए। हमने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, महाराष्ट्र राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण, पुलिस अधीक्षक गोंदिया, पालकमंत्री और विधायक विनोद अग्रवाल से की गई।
गोंदिया शहर के पुलिस निरीक्षक किशोर पर्वते ने कहा कि कार्रवाई करने गई पुलिसकर्मियों के साथ अरुण दरयानी को सहयोग करना था। उन्होंने पुलिस पर झूठे आरोप लगाए हैं। सीसीटीवी कैमरों के नियंत्रण से छेड़छाड़ संभव नहीं है, दरयानी के आरोप निराधार हैं।