नकली शराब का कारखाना चलाने वाला आरोपी गिरफ्तार (कंसेप्ट फोटो)
गड़चिरोली: जिले की नक्सल प्रभावित, आदिवासी बहुल और अतिदुर्गम क्षेत्र के रूप में पहचाने जाने वाले भामरागड़ तहसील के ताडगांव पुलिस थाना क्षेत्र अंतर्गत आने वाले कुडकेली गांव के घने जंगल में नकली देशी शराब का कारखाना पुलिस ने दो दिन पहले ध्वस्त करते हुए करीब 39 लाख 31 हजार का माल जब्त किया था।
इस मामले में पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था। लेकिन इस मामले का मुख्य आरोपी और उसका सहयोगी फरार होने में कामयाब हो गया। लेकिन पुलिस ने उनका लोकेशन खोज निकालकर शुक्रवार को दोनों को नागपुर से हिरासत में लिया है। नागपुर में पकड़े गये आरोपियों में जिले का सबसे बड़ा शराब तस्कर के रूप में पहचाने जाने वाले चामोर्शी निवासी धर्मा रॉय और उसका सहयोगी ताडगांव निवासी शुभम सपन विश्वास का समावेश है।
दोनों आरोपियों को हिरासत में लेकर शुक्रवार को देर रात गड़चिरोली में लाया गया है। यह कार्रवाई जिला पुलिस अधीक्षक नीलोत्पल व प्रभारी पुलिस अधीक्षक यतिश देशमुख के मार्गदर्शन में स्थानीय अपराध शाखा के प्रभारी अधिकारी पुलिस निरीक्षक अरुण फेगडे के मार्गदर्शन में एलसीबी के पथक ने की है।
नकली शराब कारखाने पर पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई में पुलिस ने घटनास्थल से 4 आरोपियों को हिरासत में लिया गया है। गिरफ्तार आरोपियों में धुले जिले के शिरपुर तहसील के बोराडी निवासी वसंत प्रदान पावरा (19), धुले जिले के शिपुर तहसील के धाबापाडा निवासी शिवदास अमर सिंह पावरा (35), धुले निवासी अर्जुन तोयाराम अहिरे (33), धुले जिले के शिरपुर तहसील के सलाईपाडा निवासी रविंद्र नारायण पावरा (18) का समावेश है।
दक्षिण गड़चिरोली में शराब माफिया के रूप में धर्मा रॉय की पहचान है। पिछले 25 वर्षों से रॉय अवैध शराब व्यवसाय में जुटा है। उसके खिलाफ वर्ष 2002 में पहली बार अपराध दर्ज हुआ था। इसके बाद करीब 15 बार उसके खिलाफ शराब के मामले दर्ज हुए थे। लेकिन अनेक मामलों में सबूत नहीं मिलने के कारण वह रिहा हो गया।
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शुरुआत में वह छोटी-मोटी शराब तस्करी कर रहा था। लेकिन इसके बाद राजनीतिक आशीर्वाद मिलने के बाद वह बड़ी तस्करी करने लगा। जिसके माध्यम से उसने करोड़ों रुपयों की संपत्ति जमा की। लेकिन जिला पुलिस अधीक्षक नीलोत्पल ने जिले की कमान संभालते हुए नक्सल आंदोलन का खात्मा करने के साथ ही अवैध व्यवसाय पर लगाम कसना शुरू कर दिया। जिला पुलिस अधिक्षक के अवैध व्यवसाय के प्रति आक्रमक रवैये के चलते आखिरकार जिले का सबसे बड़ा शराब तस्कर के रूप में पहचाने जाने वाला धर्मा रॉय पुलिस के हत्थे चढ़ गया।