जंगल से सटे गांवों में जानवरों का आतंक (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Gondia News: पिछले कई दिनों से जिले में जंगली जानवरों की मानव बस्तियों में घुसपैठ बढ़ गई है। इसके साथ ही, मनुष्यों पर हमलों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। परिणामस्वरूप, मानव-वन्यजीव संघर्ष भड़क उठा है। देवरी, अर्जुनी मोरगांव और सड़क अर्जुनी तहसील में जंगल से सटे गांवों में बाघ और तेंदुओं सहित जंगली जानवरों की आवाजाही बढ़ गई है, जिससे ग्रामीणों में दहशत है। वन विभाग सतर्कता बरत रहा है और जन जागरूकता कर रहा है। विभाग ने नागरिकों को भी सतर्क रहने की सलाह दी है।
चिचगढ़ वन क्षेत्र और पालांदूर सहवन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले पालांदूर और टेकरी में तेंदुए का विचरण हैं। जिससे क्षेत्र में भय का माहौल है। वन विभाग ने स्थानीय नागरिकों से सतर्क रहने की अपील की है। देवरी वन परिक्षेत्र अधिकारी प्रशांत वडे ने सालवणकर, वनपाल पालांदूर और सभी क्षेत्रीय वन अधिकारियों के साथ गांव का दौरा किया और ग्रामीणों से बातचीत की। इस अवसर पर ग्राम पंचायत मगरडोह के सरपंच विलास भोगारे और स्थानीय नागरिक उपस्थित थे। इस बैठक में प्रशांत वडे ने नागरिकों से क्षेत्र में तेंदुआ दिखाई देने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सावधान और सतर्क रहने की अपील की। उन्होंने तेंदुआ दिखाई देते ही तुरंत निकटतम वन विभाग के अधिकारियों या कार्यालय को सूचित करने के निर्देश भी दिए।
वन विभाग की इस पहल से नागरिकों में जंगली जानवरों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने में मदद मिलेगी। नवेगांवबांध के पास रामनगर, कडोली और प्रतापगढ़ क्षेत्र में एक तेंदुआ है, और छात्रों सहित नागरिकों में भय का माहौल है। यह मांग की गई है कि वन विभाग ध्यान दे और इस तेंदुए को नियंत्रित करें। क्षेत्र के छात्र दिनकरनगर में पढ़ाई करने जाते हैं। इन छात्रों ने एक तेंदुआ देखा है। उन्होंने स्कूल को इसकी सूचना दी। स्कूल ने छात्रों को किसी भी तरह का नुकसान होने से बचाने के लिए वन विभाग को सूचित किया है। लेकिन, आरोप लगाया जा रहा है कि वन विभाग ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है।
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अर्जुनी मोरगांव तहसील के सुरगांव चापटी में बाघ की लगातार आवाजाही से ग्रामीण भयभीत हैं। पिछले कुछ दिनों से बाघ आए दिन गांव में घुस रहे हैं और जानवरों पर हमले की घटनाएं सामने आ रही हैं। जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, बाघ देखे जाने की सूचना वन विभाग को बार-बार दिए जाने के बावजूद, विभाग द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।