अकोला जिला परिषद स्कूल (सौ. सोशल मीडिया )
Akola News In Hindi: राज्य सरकार ने पांच या उससे कम छात्र संख्या वाली जिला परिषद, महानगरपालिका और नगर परिषद की शालाओं को तत्काल बंद करने का निर्णय लिया है।
इस आदेश के चलते जिले की लगभग 20 से 25 शालाएं बंद होने की संभावना है, जिससे ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर असर पड़ने की आशंका है।
7 अक्टूबर 2025 को राज्य आयुक्त, पुणे द्वारा आयोजित आभासी बैठक में यह निर्देश जारी किया गया, जिसके बाद अमरावती विभागीय शिक्षण उपसंचालक ने जिले के संबंधित शैक्षणिक संस्थानों को आदेश पर त्वरित अमल के निर्देश दिए हैं। इस निर्णय के विरोध में शिक्षक संगठनों ने तीव्र नाराजगी जताई है, जबकि राज्यभर के शिक्षक और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के विधायक इस मुद्दे पर मौन साधे हुए हैं।
शिक्षक संगठनों का कहना है कि यह निर्णय शिक्षा के अधिकार कानून का उल्लंघन है और शिक्षा के सार्वभौमिकरण की नीति के विपरीत है। पांच या उससे कम छात्र संख्या वाली शालाएं प्रायः वाडी, वस्ती, तांडे, पाडे जैसे दुर्गम क्षेत्रों में स्थित हैं, जहां आदिवासी, गरीब और श्रमिक वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं। इन क्षेत्रों में स्कूल बंद होने से विशेषकर बालिकाओं की शिक्षा बाधित होगी। सरकार द्वारा यह तर्क दिया जा रहा है कि कम छात्रसंख्या वाली शालाएं शैक्षणिक दृष्टि से व्यावहारिक नहीं हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में वैकल्पिक परिवहन व्यवस्था की अनुपलब्धता के कारण बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल हो जाएगा। इससे बड़ी संख्या में विद्यार्थी शिक्षा की मुख्यधारा से बाहर हो सकते हैं।
शिक्षा को घर-घर पहुंचाने का दावा करने वाली सरकार पर अब यह आरोप लग रहा है कि वह छात्र संख्या की शर्त लगाकर शिक्षा से वंचित करने का छुपा एजेंडा चला रही है। यदि इस निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया गया, तो यह ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। शिक्षक संगठनों ने मांग की है कि सरकार इस निर्णय को तत्काल वापस ले और दुर्गम क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच बनाए रखने के लिए वैकल्पिक समाधान प्रस्तुत करे।
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अकोला जिला अध्यक्ष राजेश देशमुख ने कहा है कि राज्य सरकार को कम नामांकन के नाम पर स्कूल बंद करने का निर्णय वापस लेना चाहिए। महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति इस आदेश की निंदा करती है। साथ ही, भविष्य में भी इस संबंध में आवाज़ उठाई जाएगी।