नवी मुंबई से पांच लड़कियां लापता
गोंदिया. लापता लड़कियों की संख्या कई कारणों से बढ़ी है, जैसे गलत दोस्तों के साथ संबंध, किशोरावस्था में प्यार और लत, माता-पिता और बच्चों के बीच बढ़ती मनमुटाव. अक्सर सामाजिक अपरिपक्वता का फायदा उठाकर लड़कियों का अपहरण कर लिया जाता है. कुछ घटनाओं की सूचना पुलिस को दी जाती है. लेकिन कुछ घटनाएं बदनामी के कारण पुलिस तक नहीं पहुंच पातीं. 18 साल से कम उम्र के लड़के या लड़की के लापता होने के बाद पुलिस अपहरण का मामला दर्ज करती है और उनकी तलाश करती है.
गोंदिया जिले में पिछले साल 288 लड़की-महिलाएं लापता हुए हैं. कुछ प्रेमी के साथ भाग गए हैं. कुछ नाबालिग हैं, 150 से अधिक लड़कियां और 18 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं हैं. अगर अगवा की गई या घर से भागी हुई लड़कियां मिल जाती हैं तो पुलिस उनके माता-पिता को बुलाती है और लड़कियों को उनके हवाले कर देती है.
यदि लड़कियां अपने माता-पिता के पास जाने से इनकार करती हैं, तो उन्हें सुधार गृह भेज दिया जाता है. जिन लड़कियों का पता नहीं चल पाता, वे पुलिस फाइल में गायब रहती हैं. अगर नाबालिग अपहरण लड़की मिल भी जाए तो उसे या उसके माता-पिता को आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज करानी चाहिए.
गोंदिया पुलिस ने जिले की लापता 158 लड़कियों को ढूंढने में सफलता हासिल की है. कुछ लापता लड़कियों की तलाश की जा रही है. ज्यादातर लड़कियां प्रेम संबंधों से भाग जाती हैं.
महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग ने लापता या अपहरण बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए ऑपरेशन मुस्कान लागू किया है. ऑपरेशन मुस्कान के कारण, बिछड़े हुए लोगों को उनके माता-पिता मिल गए हैं. अब फिर से ऑपरेशन मुस्कान को सख्ती से लागू करने की जरूरत है.