मुबंई मीठी नदी घोटाला में ED करेगी जांच
मुंबई: मीठी नदी सफाई परियोजना में हुए बड़े घोटाले में अब ED की भी एंट्री हो गई है। ED ने मुंबई EOW की जांच के आधार पर ECIR दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी। ED की एंट्री के बाद इस घोटाले में शामिल अभियंताओं, मिडलमैन और ठेकेदारों की मुसिबतें और बढ़ने वाली हैं।
वहीं EOW ने मीठी नदी सफाई परियोजना में हुए 65 करोड़ रुपये के घोटाले को लेकर एक और बड़ा खुलासा किया है। जांच में सामने आया है कि टेंडर देने से पहले और उसके बाद, BMC के अभियंताओं ने यह कभी जांचा ही नहीं कि वास्तव में मीठी नदी में कितनी गाद मौजूद थी और उसे हटाने में कितना समय लगेगा।
इन लोगों का आया नाम
EOW के सूत्रों के मुताबिक, 2019 से 2025 तक मीठी नदी में गाद की कोई अधिकृत माप ही नहीं की गई। यह जिम्मेदारी BMC के अभियंताओं प्रशांत रामूगडे, गणेश बेंद्रे और तायशेट्टे की थी। लेकिन दावा है कि इन्होंने अपनी ड्यूटी निभाने के बजाय मिडलमैन केतन कदम और जय जोशी और ठेकेदारों के साथ मिलकर घोटाले को अंजाम दिया।फर्जी तस्वीरों और दस्तावेजों के सहारे, गाद ज्यादा निकाली, दिखाकर BMC से बड़ी रकम वसूली जाती रही। यह सिलसिला तब तक चला जब तक BMC के दक्षता विभाग ने इस पर आपत्ति नहीं जताई।टेंडर शर्तों के अनुसार एक मीट्रिक टन गाद निकालने का रेट 1693 रुपये था, लेकिन हकीकत में 2100 रुपये तक का भुगतान किया गया। दक्षता विभाग के कहने पर बाद में दुबारा से पैसे कम किए गए।
अभियंताओं को मिला कमीशन
जांच में यह भी सामने आया है कि ठेकेदारों को गाद निकालने वाली मशीनरी किराए पर देने से पहले, BMC अभियंता रामूगडे, बेंद्रे और तायशेट्टे ने मिडलमैन केतन कदम और जय जोशी के साथ बैठक की थी। इस बैठक में तय हुआ कि मशीनरी मैटप्रोप कंपनी से खरीदने का दिखावा किया जाएगा, लेकिन असल में उसे किराए पर दिया जाएगा और बदले में अभियंताओं को कमीशन मिलेगा। BMC की ओर से टेंडर में मशीन खरीदने की शर्त शामिल थी, लेकिन इस पूरी योजना को मोड़कर, किराए पर मशीन देने की हरी झंडी दे दी गई जिससे मशीनरी किराए की आड़ में करोड़ों का कमीशन कमाया गया।