
सिंदेवाही ग्रामीण अस्पताल का ‘स्वास्थ्य’ खराब
Maharashtra Health System: सिंदेवाही ग्रामीण अस्पताल प्रशासन की लापरवाही उस समय उजागर हुई जब अस्पताल परिसर में चार एम्बुलेंस खड़ी होने के बावजूद एक गर्भवती महिला को एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराई जा सकी। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि पूर्व नगराध्यक्ष ने अपनी निजी गाड़ी से गर्भवती महिला को चंद्रपुर अस्पताल पहुंचाया। इस घटना ने अस्पताल की कार्यप्रणाली और व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है।
पलसगांव निवासी रोहिणी गायकवाड़ नामक गर्भवती महिला को डॉक्टरों ने बताया कि उसके गर्भ में जुड़वां शिशु हैं, जिनमें से एक की स्थिति आड़ी है। इस कारण उसे तत्काल चंद्रपुर जिला अस्पताल रेफर किया गया। परंतु जब अस्पताल में एम्बुलेंस की मांग की गई, तो पता चला कि कोई भी वाहन चालू हालत में नहीं है।
और भी चौंकाने वाली बात यह रही कि हेल्पलाइन नंबर 108 पर संपर्क करने पर भी मदद नहीं मिली। हेल्पलाइन कर्मचारियों ने यह कहते हुए सहायता से इनकार कर दिया कि यह सेवा केवल आपातकालीन रोगियों के लिए है। इससे परिजनों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने अस्पताल प्रशासन की जवाबदेही तय करने तथा जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
सरकारी व्यवस्था के असफल होने पर देर रात लगभग 1.30 बजे पूर्व नगराध्यक्ष और वर्तमान पार्षद स्वप्निल कावले को सूचना दी गई। एम्बुलेंस चालकों की लापरवाही देखकर उन्होंने स्वयं अपनी गाड़ी निकाली और रात करीब दो बजे गर्भवती महिला को सुरक्षित चंद्रपुर के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। कावले ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही एम्बुलेंस सेवा को सुचारू नहीं किया गया, तो वे आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि “मरीजों की जान से खिलवाड़ अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
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सिंदेवाही ग्रामीण अस्पताल में कुल तीन एम्बुलेंस उपलब्ध हैं। दो ‘108 सेवा’ और एक ‘102 सेवा’ एम्बुलेंस। ‘102 सेवा’ विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं के लिए निर्धारित है, जबकि ‘108 सेवा’ आपातकालीन मरीजों के लिए होती है, जिनका रखरखाव पुणे स्थित बीवीजी कंपनी करती है। अस्पताल सूत्रों के अनुसार, 102 एम्बुलेंस की हेडलाइट पिछले एक महीने से बंद है, जिसके कारण यह रात के समय उपयोग में नहीं लाई जा सकती। सिंदेवाही ग्रामीण अस्पताल के कनिष्ठ लिपिक मुरलीधर शिंगाडे ने कहा कि “रात के समय हेडलाइट खराब होने से एम्बुलेंस चलाना संभव नहीं है।”






