फसलों के नुकसान का जायजा लेते विधायक करण देवतले (फोटो नवभारत)
Chandrapur Varora Soybean Crop Damage: किसानों को अन्नदाता कहा जाता है, लेकिन इस समय वे खुद गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। खरीफ सीजन की मुख्य नकदी फसल मानी जाने वाली सोयाबीन अब अपने अंतिम चरण में है। चंद्रपुर जिले के वरोरा तहसील के खेतों में सोयाबीन की भरपूर फसल खड़ी थी, लेकिन लगातार बारिश और रोगों के प्रकोप ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है।
पिछले कुछ दिनों से क्षेत्र में फफूंद जनित रोगों के साथ-साथ पीला मोजेक और करपा रोग तेजी से फैल रहे हैं। इन बीमारियों की वजह से हरे-भरे खेत पीले पड़ गए हैं और किसानों की मेहनत चौपट हो गई है। जिन किसानों ने बेहतर पैदावार की उम्मीद में सोयाबीन बोई थी, उनकी आंखों में अब सिर्फ आंसू हैं।
इस स्थिति को देखते हुए वरोरा-भद्रावती विधानसभा क्षेत्र के विधायक करण देवतले ने शेगांव परिसर के चारगांव का दौरा किया। विधायक देवतले ने खेतों का निरीक्षण कर प्रभावित फसल को करीब से देखा। इस मौके पर तहसीलदार और कृषि अधिकारी भी मौजूद थे। निरीक्षण के दौरान फसल नुकसान का पंचनामा किया गया।
ग्रामीण किसानों ने विधायक के सामने अपनी व्यथा रखी और कहा कि वे पूरी तरह आर्थिक संकट में फंस गए हैं। बीज, खाद और कीटनाशकों पर भारी खर्च करने के बावजूद रोग और बारिश ने उनकी फसल बर्बाद कर दी।
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किसानों ने विधायक और अधिकारियों को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि फसल बीमा योजना के तहत तत्काल नुकसान का मुआवजा दिया जाए और राज्य सरकार की ओर से आर्थिक सहायता जल्द से जल्द उपलब्ध कराई जाए।
विधायक देवतले ने किसानों को आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं को गंभीरता से सरकार तक पहुंचाया जाएगा और मदद दिलाने के लिए वे हर स्तर पर प्रयास करेंगे। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रभावित किसानों की सूची तैयार कर नुकसान का सर्वेक्षण तुरंत पूरा किया जाए ताकि समय पर राहत उपलब्ध कराई जा सके।