कुपोषण (सौ. सोशल मीडिया )
Pune News In Hindi: जिला परिषद द्वारा शुरू की गई ‘बालक दत्तक योजना’ कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी सफलता साबित हो रही है। इस पहल के परिणामस्वरूप जिले की 13 तहसीलों में कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
इस योजना के माध्यम से, लगभग 75% बच्चे कुपोषण से बाहर निकलकर सामान्य स्थिति में आ गए हैं, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस योजना के तहत 13 तहसीलों में कुल 375 बच्चे ‘सैम’ (गंभीर रूप से कुपोषित) और ‘मैम’ (मध्यम रूप से कुपोषित) श्रेणी में थे।
जिला परिषद के प्रयासों के कारण इनमें से 282 बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है। अब केवल 93 बच्चे ही कुपोषित श्रेणी में बचे हैं। आंकड़ों के अनुसार सबसे अधिक कुपोषित बच्चों की संख्या आंबेगांव तहसील में थी, जहां 99 में से 67 बच्चे अब सामान्य हो गए हैं। वहीं भोर तहसील में सबसे कम कुपोषित बच्चे (9) थे, जिनमें से 7 को स्थिति में सुधार हुआ है। यह योजना दिखाती है कि सही रणनीति और प्रयासों से कुपोषण जैसी गंभीर समस्या का समाधान किया जा सकता है।
जन्मजात कारणों या पौष्टिक आहार की कमी के कारण बच्चों में कुपोषण की समस्या उत्पन्न होती है। इसी समस्या को दूर करने के लिए, पुणे जिला परिषद ने ‘कुपोषण मुक्त पुणे जिला अभियान -‘बालक दत्तक योजना’ की शुरुआत की। इस योजना के तहत अधिकारियों और कर्मचारियों ने 90 दिनों तक सैम और मैम – बच्चों को गोद लिया। उनके प्रभावी और – समर्पित प्रयासों से कुपोषित बच्चों की – संख्या को कम करने में बड़ी सफलता – मिली। इस अभियान में कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण स्तर को बेहतर बनाने के लिए विशेष ध्यान दिया गया। उन्हें आवश्यक दवाइयों के साथ-साथ पौष्टिक आहार भी उपलब्ध कराया गया।
पुणे जेडपी महिला व बालकल्याण अधिकारी आनंद खंडागले ने कहा है कि ८८ कुपोषण मुक्त पुणे जिला अभियान के तहत लागू की गई बालक दत्तक योजना से बच्चों के स्वास्थ्य में सकारात्मक सुधार हुआ है। संतुलित आहार, औषधियां और नियमित देखरेख के कारण गंभीर व मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या में बड़ी कमी आई है। यह पहल बच्चों के उज्ज्यल भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई है।
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सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर भोजन की व्यवस्था इन बच्चों के लिए स्थानीय स्तर पर आसानी से उपलब्ध होने वाले और विभिन्न स्वाद वाले सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर भोजन की व्यवस्था की गई। 0 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों की शारीरिक और बौद्धिक वृद्धि बहुत तेजी से होती है, इसलिए इस अवधि में उनके आहार और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया। एकीकृत बाल विकास सेवा योजना के माध्यम से बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए लगातार प्रयास किए गए।