किसान आत्महत्या (सौ. सोशल मीडिया )
Farmers Suicide In Chhatrapati Sambhajinagar: मराठवाड़ा के किसान एक बार फिर प्राकृतिक आपदाओं व आर्थिक संकट की दोहरी मार का सामना कर रहे हैं। भारी वर्षा, फसल नुकसान, कर्जबोझ व बाजार में भाव नहीं मिलने आदि समस्याओं के चलते गत चार महीनों में पूरे मराठवाड़ा क्षेत्र में 342 किसानों ने खुदकुशी की है।
जहां तक छत्रपति संभाजीनगर जिले का सवाल है, यह आंकड़ा 137 है। उल्लेखनीय है कि किसानों की आत्महत्याओं को रोकने के लिए सरकारी स्तर पर कई योजनाएं संचालित की जा रही है, बावजूद इसके किसानों की यह त्रासदी थमने का नाम नहीं ले रही है।
मराठवाड़ा का अधिकांश इलाका गैरसिंचाई अर्थात बंजर है, जहां किसान पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर रहते हैं। कभी भारी वर्षा तो कभी सूखा व इस अनिश्चित मौसम ने किसानों की आर्थिक स्थिति बुरी तरह से बिगाड़ दी है। इस साल खरीफ सीजन की शुरुआत में ही बाढ़ के चलते हजारों हेक्टेयर फसलें बर्बाद हुई। कुछ इलाकों में गर्मी में पानी की भारी कमी तो कुछ जगहों पर ओलावृष्टि संग बेमौसम बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी हैं।
विभागीय आयुक्त कार्यालय के अनुसार, जून से सितंबर के बीच मराठवाड़ा के आठ जिलों में कुल 342 किसानों ने आत्महत्या की है। इनमें सबसे ज्यादा छत्रपति संभाजीनगर में 137, नांदेड़ में 121, धाराशिव में 102, जालना में 54, परभणी में 74, हिंगोली में 46 व लातूर में 60 किसान शामिल है। वर्ष 2024 के दौरान पूरे वर्ष में मराठवाड़ा संभाग में कुल 948 अन्नदाताओं ने मौत को गले लगाया, जिसमें बौड़ जिले में सबसे अधिक 205, नांदेड़ 167 व छत्रपति संभाजीनगर में 151 किसानों ने आत्मघाती कदम उठाया था।
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मराठवाड़ा के किसान अब भी प्रकृति की मार व आर्थिक तंगी के बीच संघर्ष कर रहे है। विशेषज्ञों का मानना है कि किसानों की आत्महत्या से रथायी सिंचाई सुविधा, फसल बीमा कर समय पर क्रियान्वयन व उचित बाजार भाव की गारंटी जरूरी है।