
तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी, (फाइल फोटो)
Bihar Assembly Election 2025: बिहार की कुल 243 सीटों पर होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। हालांकि, चुनाव से पहले ही महागठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों के भीतर मतभेद गहराते जा रहे हैं। लंबे समय से जारी सीट शेयरिंग की चर्चा अंतिम रूप नहीं ले पा रहा है।विपक्षी खेमे में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद को लेकर जारी रस्साकशी अब खुलकर सामने आ रही है।
मंगलवार रात आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कांग्रेस और वीआईपी नेताओं के साथ लंबी चर्चा की, इसके बावजूद कुछ ठोस नतीज निकल सामने नहीं आया।वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने कोटे के सीटों की संख्या घटाने के लिए तैयार हैं, लेकिन बदले में उन्हें डिप्टी सीएम के कैंडिडेट घोषित किया जाना चाहिए।
बिहार की राजनीति को करीब से जानने वाले सूत्रों ने बताया कि मुकेश सहनी चाहते हैं कि जब सीट शेयरिंग का ऐलान हो, उसी वक्त उनका नाम डिप्टी सीएम उम्मीदवार के तौर पर घोषित किया जाए। हालांकि, कांग्रेस मुकेश साहनी की मांग से बिलकुल भी सहमत नहीं है। कांग्रेस फिलहाल मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के चेहरे घोषित करने के पक्ष में नहीं है। बीती रात तेजस्वी यादव और सहनी के बीच हुई बातचीत में इसी मुद्दे पर सहमति बनाने की कोशिश की गई, लेकिन बात बनी नहीं।
महागठबंधन में अभी सीट शेयरिंग को लेकर कुछ भी अधिकारिक तौर पर ऐलान नहीं हुआ है। हालांकि, राजनीतिक जानकारों को उम्मीद है कि वीआईपी पार्टी को करीब 16 सीटें मिल सकती हैं। हालांकि, इनमें से कई सीटों पर प्रत्याशियों का चयन करने का अधिकार आरजेडी के पास ही रहेगा। वहीं, सीपीएम और सीपीआई के साथ सीट शेयरिंग का फॉर्मूला लगभग तय हो चुका है। माले (CPI-ML) की कुछ सीटों को लेकर बातचीत अब भी जारी है।
ये भी पढ़ें: बिहार के महासंग्राम में नीतीश की आखिरी चाल, बाजी मारेंगे चिराग-सहनी; कौन पलटेगा सियासत का खेल?
कांग्रेस की ओर से आज एक अहम बैठक दिल्ली में बुलाई गई है। पार्टी के प्रदेश नेता दिल्ली रवाना हो गए हैं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस की चुनाव समिति की बैठक दोपहर 2:30 बजे से होगी। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस आलाकमान बुधवार को विधानसभा उम्मीदवारों की सूची पर चर्चा कर सकता है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस इस बार कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती और इसलिए उम्मीदवारों का चयन पहले से ही करने में जुटी है। यह रणनीति तब अपनाई जा रही है, जब आरजेडी और वाम दलों के साथ सीट बंटवारे की बातचीत अभी जारी है






