धारणी जिला अस्पताल (सौजन्य-नवभारत)
Amravati: अमरावती जिले के धारणी के मेलघाट में कुपोषण और स्वास्थ्य सेवाओं की अव्यवस्था का दंश एक बार फिर सामने आया है। हरिसाल गांव की 20 वर्षीय सात माह की गर्भवती की दर्दनाक मौत हो गई। मृतक का नाम रूपाली अजय धांडे है।
सूत्रों के अनुसार हरिसाल चौराकुंड मार्ग निवासी रुपाली अजय धांन्डे (20) यह सात माह की गर्भवती थी। शनिवार को तड़के 3 बजे अचानक पेट में दर्द होने लगा। तब उसे हरिसाल के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में न ले जाते हुए घर पर दायी को बुलाया गया और दायी की ओर से जब जांच की गई तो उसने बताया कि बच्चा पेट में ही मर गया है, दायी ने अपने तरीके से जब बच्चे को निकला तो वह मरा हुआ पाया गया।
उस वजह से माता को पीड़ा होकर रक्तस्त्राव शुरू हुआ। फिर भी उसे हरिसाल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लेकर नहीं गए। इसकी जानकारी हरिसाल की आशावर्कर को लगी तो उसने समझा बुझाकर हरिसाल स्वास्थ्य केंद्र में लाया। रक्तस्त्राव अधिक होने से उसे धारणी उपजिला अस्पताल में रेफर किया गया। लेकिन परिजन उसे ले जाने तैयार नहीं थे।
तत्पश्चात डाक्टरों ने कुछ गांव के प्रतिष्ठित नागरिक और सामाजिक लोगों को बुलाया और समुपदेशन कर धारणी जाने के लिए राजी किया। 10.30 बजे धारणी उपजिला अस्पताल के लिए हरिसाल से निकले करीब 11 बजे के आसपास धारणी पहुंचने के बाद माता को स्टैचर पर ही माता ने दम तोड़ दिया।
इस घटना से पूरे गांव और अस्पताल परिसर में मातम का माहौल छा गया। नवजात शिशु का जन्म होने की खुशी मातृमृत्यु के दुख में बदल गई। मेलघाट पहले से ही कुपोषण के कलंक और मातृ-शिशु मृत्यु दर के कारण चर्चा में रहा है। ऐसे में एक और माता मृत्यु ने स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोलकर रख दी है। क्षेत्र में लगातार उठ रहे सवाल यह है कि आखिर कब तक मेलघाट की महिलाएं असमय मौत का शिकार होती रहेंगी और कब स्वास्थ्य विभाग इस गंभीर समस्या के प्रति जवाबदेही दिखाएगा।
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उक्त महिला सात महीने की गर्भवती थी। शौच के लिए जाते समय अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। इसके चलते घर पर ही प्रसव हुआ और मृत शिशु (उपजत मृत्यु) जन्मा। परंतु उसके बाद भी उपचार हेतु प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर न लाकर, दायी की मदद से प्रसूति कराई गई। इसके पश्चात सुबह आशा सेविका ने यह जानकारी पीएचसी को दी।
उस समय एम्बुलेंस भेजकर माता एवं परिजनों को परामर्श देकर पीएचसी लाया गया। जांच और प्राथमिक उपचार के बाद महिला को स्त्रीरोग विशेषज्ञ एसडीएच धारणी के पास आगे के उपचार हेतु रेफर किया। लेकिन उस समय भी परिजनों ने धारणी ले जाने से इंकार कर दिया। एक घंटे के अथक परामर्श के बाद अंततः माता को संदर्भित किया गया।