नितिन गडकरी (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nagpur News: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर हवाई अड्डे के रनवे के री-कार्पेटिंग और रखरखाव कार्य में डेढ़ साल की देरी के लिए भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण की कड़ी आलोचना की जिससे नागपुरवासियों को लगभग 50 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान हुआ। उन्होंने यह आलोचना प्राधिकरण के अधिकारियों के सामने की। वे एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा ‘विकसित भारत में विमानन क्षेत्र की भूमिका’ पर आयोजित तीन दिवसीय वार्षिक कार्यक्रम के दौरान बोल रहे थे।
गडकरी ने एयरपोर्ट अथॉरिटी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि यह व्यवस्था पुराने और अप्रचलित नियमों पर आधारित अपनी प्रक्रियाओं और धीमी गति से काम करने के लिए जानी जाती है। यह हास्यास्पद है कि एक हवाई पट्टी बनाने में डेढ़ साल लग जाते हैं। इस देरी के कारण नागपुरवासियों को यात्रा में परेशानी हुई और इसकी वजह से उन्हें बढ़ा हुआ किराया और समय की बर्बादी झेलनी पड़ी। अनुमान है कि यात्रियों को 50 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि आपको फाइलों पर बैठे रहने की आदत हो गई है। आप फैसले नहीं लेते, बस उन्हें टालते रहते हैं। मेरा मंत्रालय राष्ट्रीय राजमार्ग एक दिन में 40 किलोमीटर सड़क का काम पूरा करता है और हमने 7 विश्व रिकॉर्ड बनाए हैं लेकिन यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा कि एक रनवे की री-कार्पेटिंग में डेढ़ साल लग जाए। गडकरी ने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने इसके लिए हवाई अड्डे के अधिकारियों को ‘डांट’ भी लगाई थी।
उन्होंने कहा कि यह बेहद अफसोस की बात है कि काम में देरी की वजह ‘गडकरी और फडणवीस के चुनावी निजी विमान’ को बताया जाता रहा। उन्होंने यूरोप और अमेरिका की तरह तेज और पारदर्शी काम करने, उन्नत तकनीक का इस्तेमाल करने और सुरक्षा मानदंडों का पालन करने की अपील की। उन्होंने जोर देकर कहा कि समय के साथ नियमों में बदलाव करना समय की मांग है।
देश के मध्य में स्थित होने से नागपुर में ‘विमानन केंद्र’ बनने की क्षमता है। इसलिए विमानन क्षेत्र में सुरक्षा से समझौता किए बिना जिम्मेदारी से काम करने की आवश्यकता है। पिछले 10 वर्षों में देश में हवाई अड्डों की संख्या 75 से बढ़कर 150 हो गई है। देहरादून से दिल्ली के लिए स्पाइस जेट्स की उड़ान में जैव-विमानन ईंधन का उपयोग किया गया है। देश के किसान अब पराली और चावल की भूसी से जैव-विमानन ईंधन का उत्पादन कर सकते हैं।
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उन्होंने कहा कि एक एम्फीबियस सीप्लेन यानी एक ऐसा विमान जो जमीन और पानी दोनों पर चल सके की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जल और वायु मार्गों से यात्री परिवहन को लागत प्रभावी और तेज बनाना समय की मांग है। कार्यक्रम में भारतीय नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के महाप्रबंधक योगीराज सोरटे, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के महासचिव आलोक यादव, एसोसिएशन फॉर इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के सचिव डॉ। विजय कुमार शर्मा भी उपस्थित थे।