भक्ति रस में सराबोर हुई, मोझरी की पालकी यात्रा (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Gurukunj Mozhari Amravati: राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज की 57वीं पुण्यतिथि के अवसर पर ब्रह्म मुहूर्त में श्रीक्षेत्र गुरुकुंज आश्रम से पालकी यात्रा शुरू हुई। गुरुदेव की जय के जयघोष मृदुंग की ध्वनि और भक्तिमय वातावरण के साथ शुरू हुई पालकी यात्रा मोझरी, गुरुदेवनगर और दासटेकड़ी क्षेत्रों से होते हुए पूरे गांव की परिक्रमा की। पालकी यात्रा के लिए गांव को सजाया गया था और रंगोली व रोशनी से जगमगाया गया था। मोजरी के ग्रामीणों ने भक्तों के लिए नाश्ते, चाय और पानी की उत्तम व्यवस्था की थी।
गोपालकाला के दिन गुरुकुंज आश्रम स्थित महासमाधि से ब्रह्म मुहूर्त में ध्यान के पश्चात पालकी यात्रा प्रारंभ हुई। पालकी यात्रा गुरुकुंज मोझरी-गुरुदेवनगर-दासटेकड़ी मार्ग ताल मृदंग की ध्वनि, संगीत और नृत्य के साथ भक्तिमय वातावरण में प्रारंभ हुई। स्वागत के लिए मोझरी और गुरुदेवनगर के निवासियों ने एक दिन पहले ही पूरे गांव की सफाई कर दी थी। मुख्य चौराहे को आकर्षक रोशनी से सजाया गया था और पालकी यात्रा के दिन बहनों ने चौराहों पर रंगोली बनाई थी। इससे गांव की सूरत बदल गई थी।
पालकी पदयात्रा में राज्य भर में अखिल भारतीय गुरुदेव सेवा मंडल की सैकड़ों शाखाएं अपने गुरुमाऊली की पालकी को कंधों पर उठाकर यह पदयात्रा परिक्रमा उत्सव मनाती हैं। इस समय मोझरी के ग्रामीणों ने उनकी सेवा के लिए विभिन्न स्थानों पर नाश्ते, चाय और पानी की उत्तम व्यवस्था की थी। युवाओं ने विभिन्न आकर्षक दृश्य भी बनाए। इसके लिए उन्हें ग्रामीणों द्वारा पुरस्कार भी दिए जाते हैं। भक्तजन राष्ट्रीय संत की पालकी को कंधों पर उठाकर भक्ति रंग में सराबोर होकर गांव की प्रदक्षिणा करते हैं।
गुरुदेव अध्यात्म गुरुकुल में युवाओं और महिलाओं के लिए विशेष सत्र आयोजित किए गए। प्रथम सत्र में सुरेश देसाई, भरत भुसकड़े, मनोज चौबे, पुरुषोत्तम थुटे और मुकुंद पुनसे ने ‘संगठनशक्ति’ विषय पर मार्गदर्शन दिया। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज ने ‘ग्राम गीता’ ग्रंथ के ‘संगठनशक्ति’ अध्याय से एकता और संगठन की शक्ति पर प्रकाश डाला है। इस अवसर पर युवाओं से एकजुट होकर सामाजिक कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेने का आह्वान किया गया। संचालन युवा व्याख्याता गुरुकुल के संपर्क प्रमुख तुलसीदास झुंजुरकार ने किया।
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महिला सम्मेलन में रेखा बुराडे, बेबी काकड़े, कविता येनोरकर, निर्मला खडतकर और सुवर्णा पिंपलकर ने प्रभावी विचार प्रस्तुत किए। राष्ट्रसंत ने ‘ग्रामगीता’ पुस्तक में ‘महिलोन्नति’ अध्याय लिखकर नारी शक्ति का गुणगान किया है। उन्होंने महिलाओं के सुख-दुख की भावनाओं, उनकी स्वतंत्रता और समाज में उनकी भूमिका का उल्लेख किया है। जयश्री गावतुरे ने अपने कीर्तन के माध्यम से बताया कि ‘चुल-मूल’ के ढांचे तक सीमित रहने वाली महिलाएं आज शिक्षा, सामाजिक कार्य और अंतरिक्ष अनुसंधान तक पहुंच गई हैं।
प्रास्ताविक छाया मानव ने किया। शिविर के एक अन्य सत्र में साक्षी पवार, रोशन ठाकरे, समीर कोरे, विकास बोरवार, प्रशांत सुरोशे और प्रमोद बोरालकर ने ‘ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसर कैसे पैदा करें’ विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। संचालन अमर वानखड़े ने किया।