
महाराष्ट्र स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन बैठक
Freedom Fighters Successor Organization Wardha: महाराष्ट्र राज्य स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के विशेष आमंत्रितों की राज्यस्तरीय बैठक हाल ही में वर्धा के ग्रामसेवा मंडल, गोपुरी में आयोजित की गई। सातारा के संगठन अध्यक्ष विजय देशपांडे ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन की सुराज्य अवधारणा तथा स्वतंत्रता वीरों की देशभक्ति को आज की पीढ़ी में विकसित करना अत्यंत आवश्यक है। समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रनिष्ठ जनप्रतिनिधियों की नई पीढ़ी तैयार करने की जरूरत है। इसी दिशा में कार्ययोजना तैयार करने का निर्णय बैठक में लिया गया।
अखिल भारतीय रचनात्मक समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष विभुती कुमार मिश्र ने कहा कि जिस प्रकार आचार्य विनोबा भावे और महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान संघर्ष का ढांचा तैयार किया, उसी प्रकार अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की भावना पर आधारित प्रभावशाली कार्य खड़ा करना समय की मांग है। वर्तमान पीढ़ी को सक्षम बनाने के उद्देश्य से यह बैठक आयोजित की गई, जिसके लिए ठोस कार्य योजना बनाना आवश्यक है।
वरिष्ठ सर्वोदयी कार्यकर्ता सुषमा पानसे ने भी समयानुकूल विचार व्यक्त किए। बैठक का संचालन वर्धा जिला अध्यक्ष कौशल मिश्रा ने किया। इस अवसर पर राजेंद्र देशपांडे, रामचंद्र भारद्वाज, राकेश कपूर, उमाकांत टोल, ईश्वर प्रसाद गुप्ता, शिवनारायण वर्मा और हेमंत बर्वे ने विचार रखे। कार्यक्रम को सफल बनाने में अधिवक्ता ताम्रध्वज बोरकर, अधिवक्ता नीलकंठ हुड, अधिवक्ता सम्राट लोखंडे और यशवंत भांडेकर ने विशेष परिश्रम किए। आभार कौशल मिश्रा ने व्यक्त किया।
बैठक के आयोजन में अहिल्यानगर के अविनाश धर्माधिकारी, रविंद्र बोरा, कोल्हापुर के नुरुद्दीन काज़ी, मुंबई की गीता सावंत, रविंद्र कारखानीस, दिल्ली की अधिवक्ता मंजुषा भगाडे तथा सातारा के डॉ. पी. एन. शिंदे और ईश्वर कदम ने शुभकामनाएँ प्रेषित कीं।
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बैठक में ज्येष्ठ नागरिक संस्था सातारा और अखिल भारतीय रचनात्मक समाज के प्रतिनिधियों ने रचनात्मक विचार प्रस्तुत किए। उपस्थित लोगों ने आशा व्यक्त की कि इस विचार-विनिमय से राष्ट्रीय और रचनात्मक आंदोलन को नई दिशा मिलेगी। ज्येष्ठ नागरिक संस्था के जनार्दन घाडगे गुरुजी ने कहा कि लोगों की मानसिकता बदलना समय की मांग है और गांव-गांव में मानव कल्याणकारी विचारों का प्रसार होना अत्यंत आवश्यक है।






