
जानें कैसा बना मां लक्ष्मी का वाहन उल्लू (सौ.सोशल मीडिया)
Mata Lakshmi Pauranik Katha: आज का दिन शुक्रवार है जो धन, वैभव और ऐश्वर्य की देवी माता लक्ष्मी को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि शुक्रवार को लक्ष्मी जी की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन व्रत रखने और लक्ष्मी मंत्रों का जाप करने से आर्थिक परेशानियां खत्म हो सकती हैं। शुक्रवार को सफेद रंग के वस्त्र पहनकर और घर को साफ-सुथरा रखकर पूजा करना शुभ माना जाता है।
कहा जाता है कि, जो भक्त इस दिन सच्चे मन से माता लक्ष्मी की आराधना करते हैं। उनके जीवन में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती। घर से आर्थिक तंगी दूर होती है और सुख-समृद्धि आती है। आज हम माता लक्ष्मी से जुड़ी एक पौराणिक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं। पौराणिक कथा में यह बताया गया है कि आखिर मां लक्ष्मी का वाहन उल्लू कैसे बना। तो आइए पढ़ते हैं यह कथा।
हिन्दू धर्म में उल्लू को ज्ञान और भाग्य का प्रतीक माना जाता है। उल्लू में कई ऐसे गुण होते हैं, जो माता लक्ष्मी की प्रकृति को प्रतीकात्मक रूप से दिखलाते हैं। कथा के अनुसार, प्रकृति और पशु-पक्षियों के निर्माण के बाद जब सभी देवी-देवता अपने वाहनों का चुनाव कर रहे थे, तब माता लक्ष्मी भी अपना वाहन चुनने के लिए धरती पर आई।
तभी सभी पशु पक्षियों ने मां लक्ष्मी के सामने प्रस्तुत होकर खुद को अपना वाहन चुनने का आग्रह किया।तब लक्ष्मी जी ने सभी पशु पक्षियों से कहा कि मैं कार्तिक मास की अमावस्या को धरती पर विचरण करती हूं, उस समय जो भी पशु-पक्षी उन तक सबसे पहले पहुंचेगा, मैं उसे अपना वाहन बना लूंगी।
अमावस्या की रात अत्यंत काली होती है इसलिए इस रात को सभी पशु पक्षियों को दिखाई कम का पड़ता है। कार्तिक मास के अमावस्या की रात को जब मां लक्ष्मी धरती पर आई तब उल्लू ने सबसे पहले मां लक्ष्मी को देख लिया और वह सभी पशु पक्षियों से पहले माता लक्ष्मी के पास पहुंच गया क्योंकि उल्लू को रात में भी दिखाई देता है।
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उल्लू के इन गुणों से प्रसन्न हो कर माता लक्ष्मी ने उसे अपनी सवारी के रूप में चुन लिया। तब से माता लक्ष्मी को उलूक वाहिनी भी कहा जाता है।






