अमरावती मनपा
अमरावती. शहर के पर्यावरण के लिए घातक बने सुकली कंपोस्ट डिपो में आज की स्थिति में 70 हजार घनमीटर कचरा डंप हैं, और लगभग 50 हजार घनमीटर कचरा खुदाई प्रक्रिया के दौरान निकलेगा। इस 120 हजार घनमीटर कचरे को 31 मार्च 2025 तक बायोमाइनिंग प्रक्रिया द्वारा पूर्ण रूप से हटा दिया जाएगा। यह जानकारी शुक्रवार को अमरावती मनपा ने सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत हलफनामे में दी।
राष्ट्रीय हरित लवादा ने भारी प्रदूषण का कारण बने सुकली कंपोस्ट डिपो में डंप कचरे के पहाड़ का योग्य प्रबंधन नहीं करने को लेकर अमरावती मनपा पर पर 47 करोड का जुर्माना ठोंका हैं। जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल मनपा की याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई में मनपा ने अपनी तरफ से हलफनामा प्रस्तुत करते हुए आगामी 10 फरवरी 2025 के पूर्व सुकली कंपोस्ट डिपो का कचरा पूरी तरह साफ कर देने का वादा किया है। इस कारण सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण की आगामी सुनवाई अब 10 फरवरी को निश्चित की है।
विगत 12 अगस्त को न्यायमूर्ति अभय ओक और न्यायमूर्ति अगस्टीन जॉर्ज की बेंच ने आवेदक अमरावती मनपा और प्रतिवादी गणेश अनासाने द्वारा प्रस्तुत हलफनामे का अध्ययन करने के बाद डंप कचरे की वास्तविक मात्रा और लंबित कार्य को पूरा करने की समय सीमा के बारे में सवाल उठाया था। प्रतिवादी गणेश अनासाने के हलफनामे के मुताबिक अमरावती मनपा को डंप कचरे की वास्तविक मात्रा का पता नहीं है। जिस पर शुक्रवार की सुनवाई में न्यायाधीशों ने आवेदक और प्रतिवादी द्वारा दी गई दलीले सुनी, और अमरावती मनपा द्वारा प्रस्तुत शपथपत्र के विवरण पर विचार कर सर्वोच्च न्यायालय ने बिना किसी समय सीमा के विस्तार या विफलता की शर्त के साथ फरवरी 2025 के दूसरे सप्ताह तक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का समय मनपा दिया। और इस मामले की अगली सुनवाई 10 फरवरी को तय की।
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अब देखना ये है की डंप कचरे का क्षेत्र लगभग 30 हजार 976 वर्ग मीटर हैं। जिसका अर्थ है लगभग 7.5 एकड़ और गहराई 6 मीटर और जिसका उपयोग दैनदिन कचरे पर प्रक्रिया के लिए 20 वर्षों तक किया जाना हैं। यदि यहां डंप कचरे की वास्तविक मात्रा 70 हजार घन मीटर से अधिक है। जो अमरावती नगर मनपा ने अपने हलफनामे में ही उल्लेख किया है। जिससे अमरावती मनपा के लिए बायो-माइनिंग को समयबद्ध तरीके से पूरा करना और अगली सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय का सामना करना भी मुश्किल होगा। वहीं बायोमाइनिंग कार्य के अनुपालन में हर बार विफल रहने पर 47 करोड़ जुर्माने की वसूली को लेकर लगी रोक भी माननीय सर्वोच्च न्यायालय हटा सकता है।
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