
लक्ष्यराज मेवाड और बहन पद्मजा परमार (डिजाइन फोटो)
Mewar Family Property Dispute: मेवाड़ शाही परिवार की संपत्ति के बंटवारे को लेकर चल रहा विवाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। यह मामला उदयपुर के सिटी पैलेस, HRH होटल्स ग्रुप और दूसरी प्रॉपर्टीज पर कंट्रोल से जुड़ा है। यह विवाद लक्षराज सिंह मेवाड़ और उनकी बहन पद्मजा कुमारी परमार के बीच चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में महाराजा अरविंद सिंह मेवाड़ की वसीयत की वैधता को चुनौती दी गई है।
भारत के चीफ जस्टिस (CJI) की अध्यक्षता वाली बेंच को बताया गया कि याचिकाकर्ता उदयपुर के पूर्व महाराजा अरविंद सिंह मेवाड़ के परिवार से हैं, जो महाराणा भगवंत सिंह मेवाड़ के उत्तराधिकारी थे। परिवार के सदस्यों के बीच उत्तराधिकार और वसीयत की वैधता को लेकर विवाद चल रहा है।
अरविंद सिंह मेवाड़ के बेटे लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने बॉम्बे हाई कोर्ट में पेंडिंग मामलों को राजस्थान हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की है। एक और याचिकाकर्ता ने यानी उनकी बहन पद्मजा परमार ने अनुरोध किया है कि राजस्थान हाई कोर्ट की जोधपुर बेंच में पेंडिंग मामलों को बॉम्बे हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर इन सभी मामलों को दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया गया। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर दोनों पक्षों के बीच कोई और मामला पेंडिंग है तो उन्हें भी दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए एप्लीकेशन दायर की जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट और राजस्थान हाई कोर्ट को सभी संबंधित केस डॉक्यूमेंट्स दिल्ली हाई कोर्ट भेजने का निर्देश दिया। दिल्ली हाई कोर्ट जनवरी 2026 में इस मामले की सुनवाई करेगा। सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि एक एडमिनिस्ट्रेटर की नियुक्ति के संबंध में भी एक एप्लीकेशन पेंडिंग है, क्योंकि इस विवाद में बड़ी मात्रा में गहने और दूसरी कीमती चल संपत्ति शामिल है।
महाराणा भूपाल सिंह ने साल 1930 से 1955 तक मेवाड़ रियासत पर शासन किया। उनके कोई संतान नहीं थी, इसलिए उन्होंने भगवत सिंह मेवाड़ को गोद लिया था। अपने जीवन के आखिरी समय में, अप्रैल 1955 में, भूपाल सिंह ने एकलिंगजी ट्रस्ट की स्थापना की।
भगवत सिंह मेवाड़ के तीन बच्चे थे। दो बेटे, महेंद्र सिंह और अरविंद सिंह, और एक बेटी, योगेश्वरी कुमारी। मेवाड़ परिवार में संपत्ति विवाद तब शुरू हुआ जब भगवत सिंह मेवाड़ ने 1983 में पारिवारिक संपत्तियों को बेचने और लीज पर देने का फैसला किया। उनके बड़े बेटे महेंद्र सिंह इस फैसले से खुश नहीं थे और उन्होंने अपने पिता के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया।
भगवत सिंह मेवाड़ अपने बेटे के कामों से बहुत गुस्सा थे। गुस्से में उन्होंने अपनी वसीयत और प्रॉपर्टी के फैसले की ज़िम्मेदारी अपने छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को सौंप दी। इसके बाद महेंद्र सिंह मेवाड़ को ट्रस्ट और प्रॉपर्टी से लगभग बाहर कर दिया गया। भगवत सिंह मेवाड़ का 3 नवंबर 1984 को निधन हो गया, जिससे मेवाड़ परिवार का प्रॉपर्टी विवाद और गहरा गया।
लगभग 37 साल तक चली कानूनी लड़ाई के बाद, उदयपुर ज़िला कोर्ट ने 2020 में इस मामले में अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने विवादित प्रॉपर्टी को चार हिस्सों में बांटने का आदेश दिया। एक हिस्सा भगवत सिंह मेवाड़ के नाम और बाकी तीन हिस्से उनके तीन बच्चों के बीच।
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कोर्ट के फैसले तक ज़्यादातर प्रॉपर्टी अरविंद सिंह मेवाड़ के कब्ज़े में रही, जबकि महेंद्र सिंह और उनकी बहन योगेश्वरी कुमारी को सीमित हिस्सा मिला। ज़िला कोर्ट ने शंभू निवास पैलेस, बड़ी पाल और घास घर जैसी प्रॉपर्टी से जुड़ी फाइनेंशियल एक्टिविटीज़ पर तुरंत रोक लगा दी।
अरविंद सिंह मेवाड़ का इस साल 16 मार्च को निधन हो गया। उनके तीन बच्चे हैं। एक बेटा, लक्ष्यराज सिंह मेवाड़, और दो बेटियां, भार्गवी कुमारी मेवाड़ और पद्मजा कुमारी मेवाड़। लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ परिवार के वारिस और HRH ग्रुप ऑफ़ होटल्स के मालिक हैं, और उनकी बहन पद्मजा के साथ प्रॉपर्टी विवाद कोर्ट में चल रहा है।






