आसमान में दिखेगा तारों के बीच टहलता घर। (सौजन्य: सोशल मीडिया)
अकोला: अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन-आईएसएस) का अद्भुत नज़ारा आज यानी 8 मई से लेकर 10 मई तक लगातार 3 दिनों तक आसमान में देखा जा सकेगा। यह एक दुर्लभ अवसर है जब यह विशाल अंतरिक्ष केंद्र आम नागरिकों को बिना किसी यंत्र की सहायता के, खुली आंखों से नजर आएगा। यह जानकारी खगोलशास्त्री प्रभाकर डोड ने दी।
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पृथ्वी की कक्षा में स्थित एक विशाल अनुसंधान केंद्र है जो वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक प्रयोगशाला और निवास स्थान के रूप में कार्य करता है। इसका निर्माण कई देशों के संयुक्त प्रयास से किया गया है जिसमें अमेरिका, रूस, जापान, कनाडा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) शामिल हैं।
आईएसएस का वजन लगभग 460 टन है और यह पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह हर 90 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा करता है और इस प्रकार यह दिनभर में लगभग 15 से 16 बार पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। इसकी गति करीब 28,000 किलोमीटर प्रति घंटा होती है, जिससे यह लगातार पृथ्वी की परिक्रमा करता रहता है।
भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स का भी इस स्टेशन से गहरा संबंध रहा है। उन्हें महज़ एक सप्ताह के लिए अनुसंधान कार्य हेतु भेजा गया था, लेकिन उनके स्टारलाइनर यान में तकनीकी खराबी आ जाने के कारण उन्हें साढ़े नौ महीने तक वहीं रहना पड़ा। इस अवधि में उन्होंने कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम दिया।
आईएसएस एक चमकीले तारे की तरह दिखाई देता है, लेकिन यह अन्य तारों की तरह एक जगह स्थिर नहीं रहता। यह लगातार एक दिशा में गति करता है। यही कारण है कि इसे ‘चलती चादर’, ‘उड़ती रोशनी’ या ‘अंतरिक्ष की चमकती परछाई’ भी कहा जाता है। जब आसमान साफ़ और निरभ्र होता है, तो यह नज़ारा और भी मनमोहक हो जाता है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ की रीढ़ बना विदर्भ, विस्फोटकों के प्रहार से कांपा पाकिस्तान…
8 मई (गुरुवार): रात 8:09 से 8:15 बजे तक — यह दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पश्चिम दिशा में जाएगा और 8:11 बजे के आसपास यह मंगल ग्रह के पास से गुजरेगा।
9 मई (शुक्रवार): रात 7:21 से 7:27 बजे तक — यह दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर चंद्रमा और मंगल ग्रह के बीच से गुजरेगा।
10 मई (शनिवार): सुबह 5:11 से 5:18 बजे तक — यह उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर बढ़ेगा।
खगोल विशेषज्ञों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का नग्न आंखों से दिखना मौसम और उसकी कक्षा पर निर्भर करता है। जब यह सूर्य की रोशनी को परावर्तित करता है और धरती से एक सही कोण पर होता है, तभी यह नज़र आता है। इसलिए यह तीन दिन खास हैं क्योंकि इन दिनों में यह हमारे भूभाग के ऊपर से गुजरेगा और साफ आसमान में दिखाई देगा।
प्रभाकर डोड और अन्य खगोल वैज्ञानिकों ने नागरिकों से अपील की है कि वे इस अनोखे और शिक्षाप्रद खगोलीय घटना को अपने बच्चों और परिवार के साथ देखें। इससे न केवल विज्ञान के प्रति जिज्ञासा बढ़ेगी बल्कि अंतरिक्ष विज्ञान की जानकारी भी सहज रूप से प्राप्त होगी।