
अकोला एमआईडीसी क्षेत्र में रासायनिक पानी का कहर (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Akola Chemical Industries: अकोला एमआईडीसी फेज-2 में स्थित अकोला केमिकल इंडस्ट्रीज प्रा. लि. कंपनी पर गंभीर आरोप लगे हैं कि वह रात के समय रासायनिक मिश्रित दूषित पानी बाहर छोड़ रही है। यह पानी सीधे आसपास की कृषि भूमि में मिल रहा है, जिससे मिट्टी, कुएँ और बोरवेल तक प्रदूषण फैल गया है। ग्रामीणों का कहना है कि इस कारण मानव और पशुओं के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। इस संदर्भ में महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल, अकोला के उपप्रादेशिक अधिकारी महेश भिवरकर को शिकायत सौंपी गई। निवेदन देने वालों में जगदीश मुरुमकर, राहुल दातकर सहित कई ग्रामस्थ उपस्थित थे।
निवेदन में स्पष्ट चेतावनी दी गई कि यदि त्वरित कार्रवाई नहीं की गई, तो प्रदूषण नियंत्रण मंडल कार्यालय के सामने तीव्र आंदोलन किया जाएगा। ग्रामस्थों ने बताया कि शिवणी (शिवार) क्षेत्र के सर्वे क्रमांक 60/1 और 3 की खुली जमीन में बड़ी मात्रा में यह रासायनिक पानी जमा हो रहा है। इस पानी से उठने वाली तीव्र दुर्गंध ने पूरे इलाके का वातावरण दूषित कर दिया है। जमीन में रिसते हुए इस पानी ने आसपास के कुओं और बोरवेल के पानी को पूरी तरह प्रदूषित कर दिया है, जो अब पीने या खेती के लिए बिल्कुल अनुपयुक्त हो गया है। ग्रामस्थों ने यह भी दावा किया कि कुछ स्थानों पर पशुओं की मृत्यु की घटनाएँ भी हुई हैं।
औद्योगिक क्षेत्र के नियमों के अनुसार किसी भी उद्योग को अपने क्षेत्र से बाहर कचरा, गंदगी या दूषित पानी छोड़ने की सख्त मनाही है। लेकिन ग्रामस्थों का आरोप है कि कंपनी इन नियमों की खुलेआम अवहेलना कर रही है और दिन-रात रासायनिक पानी बाहर छोड़ रही है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि यहाँ खुलेआम पर्यावरण का ह्रास किया जा रहा है। मानवीय स्वास्थ्य को खतरे में डालने वाले इस अवैध कार्य पर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। इस शिकायत की प्रति जिलाधिकारी अकोला और एमआईडीसी अकोला के उपअभियंता को भी भेजी गई है।
अब प्रशासन की अगली कार्रवाई पर सबकी निगाहें टिकी हैं। ग्रामस्थों का कहना है कि यदि समय पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आंदोलन और अधिक तीव्र होगा। पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रामस्थों का संघर्ष अब निर्णायक मोड़ पर पहुँचता दिखाई दे रहा है।
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इस घटना ने न केवल स्थानीय किसानों और नागरिकों को चिंतित किया है, बल्कि यह सवाल भी उठाया है कि औद्योगिक क्षेत्रों में पर्यावरणीय नियमों का पालन किस हद तक हो रहा है। ग्रामीणों का आक्रोश और आंदोलन की चेतावनी प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। अकोला एमआईडीसी क्षेत्र में रासायनिक पानी का यह मामला पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए गंभीर खतरे का संकेत है। ग्रामस्थों की शिकायत और आंदोलन की चेतावनी ने प्रशासन को कठोर कदम उठाने के लिए बाध्य कर दिया है। आने वाले दिनों में इस मामले पर प्रशासन का निर्णय तय करेगा कि ग्रामस्थों का संघर्ष शांत होगा या आंदोलन और अधिक उग्र रूप लेगा।






